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    BSF जवान की कुत्ते के काटने से हो गई थी मौत, हाईकोर्ट ने माना दुर्घटना; अब मिलेगा परिजनों को मुआवजा

    Updated: Mon, 14 Apr 2025 06:42 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बीएसएफ जवान की कुत्ते के काटने से हुई मौत को दुर्घटना मानते हुए बीमा योजना के तहत अतिरिक्त मुआवज़ा देने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि कुत्ते का काटना अप्रत्याशित घटना है और यह दुर्घटना की श्रेणी में आता है। मृतक जवान को ड्यूटी के दौरान कुत्ते ने काटा था जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी।

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    कुत्ते के काटने से बीएसएफ सिपाही की मौत मामले को हाई कोर्ट ने माना दुर्घटना।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कुत्ता काटने से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) सिपाही की मौत मामले में बीमा योजना के तहत दोगुना दुर्घटना लाभ देने की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। न्यायमूर्ति नवीन चावला व न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के एक निर्णय हवाला दिया। इसमें कुत्ते के काटने से हुई मृत्यु को दुर्घटना माना गया था।

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    पीठ ने कहा कि कुत्ते का काटना एक अप्रत्याशित और हिंसक घटना है, जो बीमा योजना के तहत दुर्घटना की श्रेणी में आता है। अदालत ने कहा कि उक्त तथ्यों को देखते हुए बीमा कंपनी पीड़ित को लाभ के रूप में अतिरिक्त पांच लाख रुपये का भुगतान करें।

    बंगाल के कूच बिहार में जवान को कुत्ते ने काटा 

    याचिका के अनुसार सिपाही तेज राव को 29 अगस्त 2009 में ड्यूटी के दौरान बंगाल के कूच बिहार में बेसहारा कुत्ते ने काट लिया था। इसके बाद उनकी मौत हो गई थी। सिपाही की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी सीमा को अनुकंपा के आधार पर बीएसएफ में नियुक्ति दी गई थी, जबकि एलआइसी की समूह बीमा योजना के तहत पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया गया।

    कोर्ट ने कहा- कुत्ते का काटना एक अप्रत्याशित घटना

    हालांकि, याची ने तर्क दिया कि यह एक दुर्घटना है और दोगुना लाभ दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कुत्ते का काटना एक अप्रत्याशित घटना है और यह बीमा योजना के तहत दुर्घटना की श्रेणी में आता है। हालांकि, दोगुना लाभ की मांग करते हुए याचिकाकर्ता सीमा ने दावा किया कि उनके पति की मृत्यु दुर्घटना के कारण हुई।

     2011 में बीएसएफ कमांडेंट को प्रतिवेदन दिया गया

    याचिका में कहा गया कि इस संबंध में 2011 में बीएसएफ कमांडेंट को प्रतिवेदन दिया गया था, लेकिन कोई अतिरिक्त राशि नहीं मिली। उन्होंने 2012 में सूचना का अधिकार के तहत जांच समिति, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्राथमिकी की जानकारी मांगी। इसमें उन्हें पति की मृत्यु की कारण रेबीज बताया गया और इसके इसके कारण पोस्टमार्टम नहीं करने की जानकारी दी गई।

    मृत्यु प्रमाण पत्र में कारण प्राकृतिक बताया गया

    आरटीआई में बताया कि मामले में पुलिस ने केवल सामान्य डायरी प्रविष्टि दर्ज की। याचिकाकर्ता सीमा ने तर्क दिया कि उनके पति की मृत्यु प्राकृतिक न होकर कुत्ते के काटने से हुई दुर्घटना थी। बीमा कंपनी और सरकार ने तर्क दिया कि मृत्यु प्रमाण पत्र में कारण प्राकृतिक बताया गया है। अदालत ने बीमा कंपनी व सरकार के तर्कों को ठुकराते हुए याची महिला के पक्ष में निर्णय पारित किया।

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