BMW एक्सीडेंट केस: दिल्ली कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने के लिए धौला कुआं SHO को भेजा नोटिस
पटियाला हाउस कोर्ट ने धौला कुआं बीएमडब्ल्यू दुर्घटना मामले में सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के आदेश दिए हैं। अदालत ने एसएचओ को केस फाइल के साथ अगली सुनवाई में पेश होने का निर्देश दिया है। आरोपी गगनप्रीत कौर के वकील ने दुर्घटनास्थल के साक्ष्य की सुरक्षा की मांग की थी। वकील ने गैर-इरादतन हत्या की धारा पर सवाल उठाए और डीटीसी बस व एंबुलेंस पर कार्रवाई की मांग की।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के धौला कुआं के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) को बीएमडब्ल्यू दुर्घटना मामले से संबंधित सीसीटीवी फुटेज संरक्षित करने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया। अधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान केस फाइल के साथ पेश होने का निर्देश दिया गया है।
बुधवार को आया था आदेश
यह नोटिस आरोपी गगनप्रीत कौर के वकील द्वारा दुर्घटनास्थल के सीसीटीवी साक्ष्य को संरक्षित करने की मांग वाली याचिका के बाद जारी किया गया है। कोर्ट ने बुधवार को इस याचिका पर पहले ही नोटिस जारी किया था।
यह मामला धौला कुआं में हुई चर्चित बीएमडब्ल्यू एक्सीडेंट केस से संबंधित है, जिसमें वित्त मंत्रालय के उप सचिव नवजोत सिंह की मृत्यु हो गई थी।
बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को गगनप्रीत कौर की जमानत याचिका का विरोध करने के लिए जवाब दाखिल करने का समय दिया है। इस पर सुनवाई शनिवार को होगी। इस बीच कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को 27 सितंबर तक बढ़ा दिया है।
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लगाई गई धारा पर उठाए सवाल
दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता ने गगनप्रीत कौर की ओर से तर्क देते हुए कहा कि यह एक साधारण दुर्घटना का मामला है। गैर-इरादतन हत्या से संबंधित धारा को लागू करना पूरी तरह से अनुचित है।
वरिष्ठ वकील ने सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि जांच ठीक ढंग से नहीं की गई है। डीसीपी का एक साक्षात्कार है, उन्हें जांच अधिकारी द्वारा गवाह बनाया जाना चाहिए। मौके पर एक एम्बुलेंस भी आई थी लेकिन वह घायल को अस्पताल नहीं ले गई। क्या उसे आरोपी नहीं माना जाना चाहिए?
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डीटीसी बस और एम्बुलेंस पर कार्रवाई की मांग
उन्होंने आगे तर्क दिया था कि वहां एक डीटीसी बस थी, जिसे जब्त किया जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि केस डायरी में पेजिनेशन नहीं किया गया है। इसे कानून के अनुसार किया जाना चाहिए।मौके पर दो गवाह थे। उन्हें गवाह बनाया जाना चाहिए।
वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि पुलिस का कहना है कि गगनप्रीत घायल को दूर के अस्पताल में ले गई थीं, जिसके कारण उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 304 लागू की गई है। यह पूरी तरह से अनुचित है। दूसरी ओर दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध किया है।
पुलिस ने कहा- आरोपी पर है गंभीर संदेह
पुलिस ने कहा कि पहली सूचना अस्पताल से प्राप्त हुई थी। आरोपी को गंभीर चोट नहीं आई थी। फिर भी उसने खुद को आईसीयू में भर्ती कराया। उसने घायल को दुर्घटनास्थल से दूर एक अस्पताल में ले गई। यह गंभीर संदेह पैदा करता है।
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