Delhi Road Accident Rules: सड़क हादसे के बाद क्या करें और क्या नहीं, जानिए कानूनी अधिकार और मानवीय जिम्मेदारियां
Delhi Road Accident Rules धौला कुआं में हुए बीएमडब्ल्यू कार हादसे के बाद सड़क दुर्घटनाओं में लोगों के व्यवहार और कानूनी प्रावधानों पर चर्चा हो रही है। दुर्घटना होने पर पुलिस को सूचना देना पीड़ित को अस्पताल पहुंचाना और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना महत्वपूर्ण है। पीड़ित को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाएं। दिल्ली में अस्पतालों की क्षेत्रवार सूची भी दी गई है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राह चलते एक्सीडेंट हो जाने पर अक्सर लोग घटनास्थल से भागने का प्रयास करते हैं। यह अपराध है। धौला कुंआ में हुए बीएमडब्ल्यू कार हादसे के बाद एक बार फिर यह चर्चा तेज हो गई है कि एक्सीडेंट के बाद लोगों को क्या करना चाहिये? लोगों को दिल्ली में ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए Delhi Road Rules को जानना चाहिए। बता दें कि इस दुर्घटना में वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी की मौत के बाद यह चर्चा आम हो गई है। ऐसे में यह खबर सभी के काम की है क्योंकि अनहोनी तो कभी भी हो सकती है।
पुलिस कंट्रोल रूम 112 को दें सूचना
यदि आप किसी दुर्घटना में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से शामिल हो गए हैं तो आपको सबसे पहले पुलिस कंट्रोल रूम को 112 पर कॉल करके सूचना देनी चाहिए। यह भी संभव है कि उस समय वहां पर स्थानीय लोग आपको घेर लें। फिर भी आप पुलिस को पूरी सूचना कंट्रोल रूम के माध्यम से देकर ही वहां से हटें और निकटतम पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करें।
एम्बुलेंस के लिए 102 डायर करें
इसके बाद पीड़ित को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाएं। आप एम्बुलेंस के लिए 102 डायल कर सकते हैं। यदि संभव हो तो अपनी गाड़ी से या राह चलते किसी राहगीर से लिफ्ट भी मांग सकते हैं। यदि आपको नहीं पता कि कहां जाना है, तो गूगल में 'हॉस्पिटल्स नियर मी' सर्च करें।
अस्पताल में भर्ती करके पहुंचें पुलिस के पास
पीड़ित को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद आपको तुरंत ही पुलिस के सामने पेश होना चाहिए। यदि आप भागते नहीं हैं या मामले को छिपाने की कोशिश नहीं करते, तो दुर्घटना के मामले जमानती होते हैं। इस संबंध में हाल ही में कानून में कुछ प्रविधान किये गए हैं।
वकील की मदद से पाएं कानूनी अधिकार
आगे की अदालती प्रक्रियाओं के लिए एक जानकार वकील की मदद लेनी होगी। सड़क दुर्घटनाओं में कई कानूनी धाराएं लागू होती हैं। जो यहां विस्तार से बताई जा रही हैं...
- धारा 106 लापरवाही से मृत्यु के मामलों से संबंधित है।
उपधारा (1) : लापरवाही या अंधाधुंध तरीके का कार्य करने पर यह लागू होता है। इसमें सजा के तौर पर पांच साल तक की कैद हो सकती है।
उपधारा (2) : हिट-एंड-रन के मामलों में लागू होता है, इसमें सजा के तौर पर 10 साल तक की कैद हो सकती है।
- धारा 105 तब लागू होती है जब अपराधी को पता हो कि घटना से मृत्यु हो सकती है, लेकिन उसका इरादा मृत्यु या गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने का नहीं होता। यह तब हो सकता है जब पीड़ित को घसीटा जाए या प्राथमिक चिकित्सा न दी जाए। सजा में आजीवन कारावास या कम से कम 10 साल तक की कैद और 10 साल तक की कैद के साथ जुर्माना शामिल हो सकता है।
- धारा 125 तब लागू होती है जब लापरवाह ड्राइविंग के दौरान जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए लागू होती है, जो गंभीर चोट या मृत्यु का कारण बन सकते हैं। सजा चोट की प्रकृति पर निर्भर करती है और तीन महीने से तीन साल तक की कैद हो सकती है।
- धारा 281 तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति सार्वजनिक सड़क पर वाहन को इतनी लापरवाही या अंधाधुंध तरीके से चलाता है कि यह मानव जीवन को खतरे में डालता है या किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचाने की संभावना होती है।
हाल के मामलों को देखते यह कहना उचित है कि इन कानूनों के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
- सितंबर में धौला कुआं में एक बीएमडब्ल्यू द्वारा टक्कर मारने से 57 वर्षीय वरिष्ठ सरकारी अधिकारी की मृत्यु हो गई और उनकी पत्नी घायल हो गई। आरोपी चालक पर गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया।
- अगस्त माह में समयपुर बादली में एक नाबालिग द्वारा चलाई गई कार ने 32 वर्षीय फैक्ट्री कर्मचारी को टक्कर मारी और लगभग 600 मीटर तक घसीटा, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
जल्द से जल्द पहुंचें नजदीकी अस्पताल
अब जब यह खबर धौला कुंआ की नवीनतम बीएमडब्ल्यू दुर्घटना को लेकर लिखी गई है तो यहां एक और विषय के बारे में विस्तार से जानना आवश्यक हो जाता है। इस मामले में आरोपी गगनप्रीत कौर की इस बात के लिए भी आलोचना हो रही है कि उन्होंने पीड़ित को लगभग 22 किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल ले जाने का निर्णय किया। आरोपी का यह निर्णय चर्चा का विषय बना हुआ है।
दिल्ली में अस्पतालों की क्षेत्रवार सूची
इसीलिए सड़क दुर्घटना के ऐसे मामलों में इन तरह की गलती नहीं करनी चाहिए। दुर्घटना के शिकार किसी भी पीड़ित को जितनी जल्दी हो सके नजदीकी अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर ले जाना चाहिए, जहां उसे त्वरित इलाज मिल सके। ऐसे में दिल्लीवासियों के लिए यहां अस्पतालों एवं ट्रॉमा सेंटर्स की क्षेत्रवार एक सूची दी जा रही है, जो बुरे समय में काम आ सकती है...
पश्चिम दिल्ली
- आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल, मोती नगर
- दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, हरि नगर
- बाबू जगजीवन राम मेमोरियल अस्पताल, जहांगीरपुरी
- दीप चंद बंधु अस्पताल, अशोक विहार
- डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर अस्पताल, रोहिणी
दक्षिण दिल्ली
- जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर, राज नगर, सफदरजंग एन्क्लेव
- सफदरजंग अस्पताल, अरिसारी नगर पूर्व, एम्स मेट्रो स्टेशन के पास
- पं. मदन मोहन मालवीय अस्पताल, मालवीय नगर
- अपोलो अस्पताल, सरिता विहार
- फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज
पूर्व दिल्ली
- गुरु तेग बहादुर अस्पताल, दिलशाद गार्डन
- लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, कल्याणपुरी
- जग प्रवेश चंद्र अस्पताल, शास्त्री पार्क
- डॉ. हेडगेवार आरोग्य संस्थान, कड़कड़डूमा
- मैक्स अस्पताल, पटपड़गंज
मध्य/उत्तर दिल्ली
- लोक नायक अस्पताल, दिल्ली गेट
- हिंदू राव अस्पताल, मलका गंज
- डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, बाबा खड़क सिंह मार्ग
- अरुणा आसफ अली सरकारी अस्पताल, सिविल लाइन्स
- सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर, सिविल लाइन्स
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