लाभ के पद मामले में भाजपा ने 'आप' को घेरा, विधायकों का मांगा इस्तीफा
ओम प्रकाश शर्मा एवं जगदीश प्रधान ने मांग की है कि दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले सीएम केजरीवाल को विधायकों से इस्तीफा लेना चाहिए।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। भाजपा ने संसदीय सचिव बनाए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों से इस्तीफा मांगा है। उसका कहना है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। यह लाभ का पद है।
'आप' विधायकों ने चुनाव आयोग के पास याचिका दायर कर अपील की थी उनकी नियुक्ति को लाभ का पद नहीं माना जाए जिसे आयोग ने खारिज कर दिया है। इसलिए अब इन विधायकों को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है।
चुनाव हुए तो जीतेगी भाजपा
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के बाद चुनाव आयोग ने भी 'आप' विधायकों के खिलाफ फैसला दिया है। आयोग ने विधायकों की दलील को खारिज करते हुए कह दिया है कि उनके खिलाफ लाभ के पद का मामला बनता है। आयोग के पास पिछले 14 महीने से यह मामला लंबित है, इसलिए उसे अंतिम फैसला सुनाने में और देर नहीं करना चाहिए।
तिवारी अपने निवास पर आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कुल 21 विधायकों के खिलाफ लाभ के पद का मामला चल रहा था। इनमें से एक विधायक जरनैल सिंह इस्तीफा दे चुके हैं। उनके इस्तीफे से खाली हुई राजौरी गार्डन सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली है। यदि चुनाव आयोग शेष 20 विधायकों को अयोग्य करार देकर चुनाव की घोषणा कर दे तो भाजपा सभी सीटें जीत लेगी।
दिल्लीवासियों से माफी मांगें केजरीवाल
भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा एवं जगदीश प्रधान ने मांग की है कि दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले मुख्यमंत्री केजरीवाल को आगे आकर इन विधायकों से इस्तीफा लेना चाहिए। उन्हें राजनीतिक लाभ के लिए गलत तरीके से इन्हें पद बांटने के लिए दिल्लीवासियों से माफी मांगनी चाहिए।
चुनाव आयोग को जल्द निर्णय सुनाना चाहिए
दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि 'आप' पिछले दो वर्षों से अलग-अलग दलीलें दे रही थी जिससे कि निर्णय आने में देरी हो। चुनाव आयोग ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया है।
गुप्ता ने कहा कि 'आप' सरकार ने संवैधानिक व्यवस्था के विरूद्ध काम किया है। इस मामले में सरकारी खर्च पर बड़े वकील किए गए हैं जो सरकारी धन का दुरुपयोग है। उन्होंने कहा कि संसदीय सचिव बनाए गए विधायकों का कार्यकाल लगभग ढाई वर्ष होने को है। वे अब भी सभी सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं। इसलिए चुनाव आयोग को जल्द अपना अंतिम निर्णय सुनाना चाहिए।

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