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    बगावत का डर: इन 21 सीटों पर बढ़ी BJP-AAP की टेंशन, क्या है चुनावी समीकरण; रिपोर्ट से समझिए सबकुछ

    Updated: Tue, 14 Jan 2025 09:15 AM (IST)

    दिल्ली चुनाव में टिकट वितरण को लेकर पार्टियों के कार्यकर्ताओं में असंतोष है। आप भाजपा और कांग्रेस ने कई सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को प्रत्याशी बनाया है जिससे पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हैं। पार्टियां अपने अनुभवी नेताओं को कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए मैदान में उतार रही हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि ऐसे कार्यकर्ता कई सीटों पर प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बन सकते हैं।

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    दिल्ली चुनाव में आप और बीजेपी को बगावत का डर सता रहा है। फाइल फोटो

    वी के शुक्ला, नई दिल्ली।  राजधानी के महासमर के लिए मैदान सज रहा है। विरोधियों को पटखनी देने के लिए प्रमुख दल पहलवानों को जांच परखकर मैदान में उतार रहे हैं। आप ने जहां सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, वहीं कांग्रेस और भाजपा ने भी ज्यादातर सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं।

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    पार्टियों को सता रहा बगावत का डर

    इसमें कई सीटों पर पार्टियों ने दूसरे दलों से आए नेताओं को प्रत्याशी बनाया है। ऐसी सीटों पर पार्टियों को अब अंदरखाने बगावत का डर सता रहा है। हालांकि, इसके लिए तीनों ही प्रमुख दलों ने अपने अनुभवी नेताओं को कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए मैदान में उतार दिया है, जो ये दावा कर रहे हैं कि ज्यादातर नाराज कार्यकर्ताओं को मना लिया गया है। लेकिन, सूत्र बता रहे हैं कि ऐसे कार्यकर्ता कई सीटों पर प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बन सकते हैं।

    (अरविंद केजरीवाल के साथ राघव चड्ढा। फोटो - पीटीआई)

    विरोध में जिनके उठा रहे थे झंडा, उनके साथ असहज हो रहे कार्यकर्ता दिल्ली में राजनीतिक समीकरण की बात करें तो एक तरफ राजधानी की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी है जिसके कार्यकर्ता दस साल से अधिक समय से जिन नेताओं के साथ दो-दो हाथ कर रहे थे। वही नेता अब आप में शामिल होने के बाद चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ता उनके साथ मतदाताओं के बीच जाने में असहज महसूस कर रहे हैं।

    मौजूदा विधायक का टिकट कटा

    कुछ ऐसे कार्यकर्ता भी हैं, जो यह मान रहे थे कि मौजूदा विधायक का टिकट कटा तो उन्हें मौका मिलेगा, लेकिन दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट मिला तो उनके लिए ऊहापोह की स्थिति पैदा हो गई। आप का शीर्ष नेतृत्व ऐसी लगभग हर विधानसभा सीट पर पार्टी के जनाधार वाले नेताओं को बुलाकर खुद ही संवाद कर रहा है, ताकि उनकी नाराजगी को दूर कर पार्टी के प्रत्याशी की राह को आसान बनाया जा सके।

    पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो उन्हें यह बताया जा रहा है कि हर जगह पार्टी ने सर्वे के आधार पर ही प्रत्याशी उतारे हैं। कई बार के सर्वे के बाद जिन 13 सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं को प्रत्याशी बनाया गया है, वहां आप विधायकों के लिए लड़ाई कठिन दिख रही थी। सर्वे में जो भी ज्यादा लोकप्रिय और सक्रिय दिखाई दिया उसे टिकट दिया गया।

    सूत्रों के अनुसार पार्टी के संयोजक पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद ऐसे कार्यकर्ताओं को बुलाकर बैठक कर चुके हैं और उन्हें समझा चुके हैं कि उनके लिए चुनाव जीतना की सबसे बड़ा मकसद है। सर्वे में उनका नाम नहीं आया या पीछे आया इसलिए टिकट कटा है या नहीं मिला है।

    केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाना

    हालांकि, उनका नाम भी दूसरे या तीसरे नंबर पर था। इसलिए उन्हें चुनाव में जुटने की सलाह दी गई है। आप नेताओं की मानें तो जहां पर भी जो कुछ असंतोष था उसे निपटा लिया गया है। अब सभी इसी उद्देश्य के साथ चुनावी मैदान में जुट़े हैं कि केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाना है। आप के सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बात का भी आकलन कर रही है कि पार्टी के कुछ कार्यकर्ता बाहर से आए प्रत्याशी के लिए चुनाव में नहीं लगते हैं तो भी उतना फर्क नहीं पड़ेगा, जितना उनके द्वारा प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार करने में पड़ेगा।

    कई नेताओं को टिकट दिया

    बाहरी नेताओं के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं का विश्वास जीतने की चुनौती उधर भाजपा की बात करें तो दिल्ली में मुख्य विपक्षी दल भाजपा है। उसने भी चुनाव जीतने के लिए प्रयोग किया है और अपने पुराने कार्यकर्ताओं की जगह दूसरी पार्टियों से आने वाले कई नेताओं को टिकट दिया है। लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले अरविंदर सिंह लवली, राजकुमार चौहान और नीरज बसोया को चुनाव मैदान में उतारा गया है।

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    आप छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले करतार सिंह तंवर, नारायण दत्त शर्मा को भी टिकट दिया गया है। हाल ही में आप छोड़कर भाजपा में आने वाले पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत, राजकुमार आनंद, प्रियंका गौतम भी टिकट प्राप्त करने में सफल रहे हैं। लगभग दो वर्ष पूर्व कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता लेने वाले तरविंदर सिंह मारवाह और रिंकु कुमारी को भी भाजपा ने टिकट दिया है। इन नेताओं के सामने भाजपा कार्यकर्ताओं का विश्वास जीतने की चुनौती है। यदि स्थानीय भाजपा नेता व कार्यकर्ताओं का साथ नहीं मिला तो उनके लिए चुनावी राह कठिन हो सकती है।

    कांग्रेस इस बार अधिक सक्रियता से लड़ रही चुनाव

    कांग्रेस इस बार अधिक सक्रियता से चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस की अभी 22 सीटें बची हुई हैं। 70 में से 48 सीटों पर ही प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। ज्यादातर सीटों पर टिकट वितरण में कोई नाराजगी सामने नहीं आई। लेकिन दो सीटों पर थोड़ा असंतोष देखने को मिला है। जंगपुरा सीट पर पूर्व मेयर फरहाद सूरी को टिकट मिला है, जबकि यहां से पटपड़गंज जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार एडवोकेट टिकट मांग रहे थे। ऐसे में वह काफी खफा हैं। इसी तरह से त्रिनगर सीट पर सतेंद्र शर्मा को टिकट मिला है जबकि यहां से वरिष्ठ नेता चतर सिंह टिकट मांग रहे थे। अब वह भी थोड़ा नाराज हैं।

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    आप ने इन 13 सीटों पर उतारे हैं दूसरे दलों के प्रत्याशी

    विस क्षेत्र           प्रत्याशी

    शाहदरा           -जितेंद्र सिंह शंटी

    कस्तूरबा नगर - रमेश पहलवान 

    नजफगढ़      - तरुण यादव  

    छतरपुर       - ब्रह्म सिंह तंवर

    किराड़ी    - अनिल झा 

    लक्ष्मी नगर - बीबी त्यागी

    सीलमपुर   - जुबैर चौधरी 

    सीमापुरी  - वीर सिंह धिंगान

    मटियाला - सुमेश शौकीन

    तिमारपुर - सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू 

    त्रिलोकपुरी -  अंजना पारचा

    पटेल नगर  - प्रवेश रतन

    भाजपा को यहां है बगावत का खतरा

    विधानसभा क्षेत्र    -            प्रत्याशी

    बिजवासन      -            कैलाश गहलोत

    पटेल नगर      -           राजकुमार आनंद

    गांधी  नगर            -      अरविंदर सिंह

    लवली मंगोलपुरी -    राजकुमार चौहान

    छतरपुर              -  करतार सिंह

    तंवर बदरपुर        -  नारायण दत्त शर्मा

    कस्तूरबा नगर     - नीरज बसोया

    कोंडली            -   प्रियंका गौतम