300 फीट गहरे बोरबेल से बच्चे को आसानी से बचाएगा रेस्क्यू रोबोट, बिहार के मयंक ने तैयार किया खास रोबोट
बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले मयंक ने बोरबेल रेस्क्यू रोबोट को मैंने एक महीने के अंदर तैयार किया है। मयंक अभी 11वीं के छात्र हैं। यह 300 से अधिक फीट की गहराई में गिरे हुए बच्चे को भी बाहर ला सकता है। रोबोट 40 किलो तक का वजन उठा सकता है। इस रोबोट में कई शानदार फीचर हैं।

रिषभ बाजपेई, पश्चिमी दिल्ली। कहते हैं कि जब मन में हो कुछ कर गुजरने का तो फिर चिंता किस बात की। 17 वर्षीय मयंक ने एक ऐसा बोरबेल रेस्क्यू रोबोट बनाया है जो कि बिना गड्डा किए ही बोरबेल में गिरे हुए बच्चे को एक घंटे के रेस्क्यू में बाहर निकाल लाएगा, वो भी केवल एक रिमोट से।
खास बात है कि इस रोबोट में लाइट, कैमरा, हर्टबीट सेंसर, आक्सीजन सिलेंडर, माइक, पानी पिलाने के लिए पाइप आदि सुविधाएं हैं। यह ऐसे फीचर हैं, जिनके जरिए बोरबेल के अंदर गिरे हुए बच्चे से आप बात करने के साथ ही उसे कैमरे के जरिए देख भी सकते हैं। इतना ही नहीं बच्चे को आक्सीजन देने से लेकर उसे पानी भी पिला सकते हैं।
एक घटना में हुआ था प्रयोग
हाल ही में हुई एक आदमी के बोरबेल में गिरने की घटना में इस रोबोट का प्रयोग किया गया था। बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले मयंक 11वीं के छात्र हैं। वर्तमान में वह दिल्ली के विष्णु गार्डन स्थित ख्याला में अपने माता-पिता के साथ किराए के घर में रहते हैं। पिता वंश लाल महतो की फोटो कॉपी की दुकान है और माता अनामिका गृहणी हैं।
मयंक बताते हैं कि इस बोरबेल रेस्क्यू रोबोट को मैंने एक महीने के अंदर तैयार किया है, जिसमें 35,000 रुपए की लागत आई है। यह रोबोट 10 इंच के बोरबेल पाइप में आसानी से उतर सकता है। यह 300 से अधिक फीट की गहराई में गिरे हुए बच्चे को भी बाहर ला सकता है। रोबोट 40 किलो तक का वजन उठा सकता है। बोरबेल के अलावा इस रोबोट को हम माइंस में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ को भी इस नए रोबोट के बारे में जानकारी दी गई है। उन्होंने प्रशंसा कर फंडिंग देने को कहा है।
रोबोट से ऐसे होगा रेस्क्यू
मयंक बताते हैं कि यह रोबोट पहिये के जरिए अधिकतम दस मिनट के अंदर बोरबेल के अंदर नीचे तक पहुंच जाता है। फिर बच्चे को कैमरे के जरिए देखकर एक राड उसकी कमर की तरफ से लेकर जाते हैं जबकि दूसरी राड बच्चे के पेट पर आती है। इसके बाद बच्चे को धीरे-धीरे कर के कैमरे में देखते हुए ऊपर लाया जाता है। बच्चे को ऊपर लाने में 35 मिनट लगते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में करीबन एक घंटे का समय लगता है जिसमें बच्चा सुरक्षित बाहर निकल आता है। यह सब रिमोट के जरिए ही किया जाता है।
ये हैं रोबोट के फीचर्स
रोबोटे के अंदर राड लगी है, जिसे रिमोट के जरिए मोड़ा जा सकता है। दो लोहे की मोटी कीलें लगाई गई हैं अगर रोबोट वापस नीचे जाता है तो यह अपने आप बाहर निकलेंगी और मिट्टी में गढ़ जाएंगी, ताकि रोबोट वहीं पर रूक जाए। पहिये और आक्सीजन सिलेंडर भी फिट है। सेंसर में आक्सीजन, डिस्टेंस, हर्टबीट, प्रेशर, एयर क्वालिटी लगे हुए हैं। कैमरा, हाईइटेंसिटी माइक और पानी के लिए एक पाइप भी दिया गया है।
रोबोट बनाने का कैसे आया विचार
बोरबेल रेस्क्यू रोबोट बनाने का विचार मयंक के दिमाग में कैसे आया इस पर उन्होंने बताया कि पिछले साल दिसंबर के महीने में मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में बोरबेल में पांच साल के बच्चे के गिरने की घटना हुई थी। इस मामले को देखने के बाद मेरे दिमाग में इस रोबोट को बनाने का विचार आया और मैंने यूट्यूब के जरिए वीडियो देखकर इसे बनाने के लिए काफी चीजें सीखी और अपने घर पर ही इसे बनाना शुरू कर दिया। सारा सामान खुद लाकर एक महीने के अंदर इसे तैयार कर लिया।
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