5 करोड़ की नकली करेंसी, जांच में खुले चौंकाने वाले राज; पढ़ें शातिरों ने नोटों को किन इलाकों में खपाया
Ghaziabad Crime गाजियाबाद में पकड़े गए नकली करेंसी के मामले में अब कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच में पता चला कि गिरोह के सदस्य अभी तक चार से पांच करोड़ रुपये की नकली करेंसी खपा चुके थे। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि गिरोह में इनके साथ-साथ कौन जुड़ा है। आगे विस्तार से जानिए पूरा मामला।

धर्मेंद्र यादव, बाहरी दिल्ली। उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिले की खोड़ा कॉलोनी में पांच सौ रुपये के नकली नोट की बड़ी खेप की बरामदगी मामले में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही हैं। बताया जाता है कि गिरोह के सदस्य सालभर के दौरान अनुमानित चार से पांच करोड़ रुपये की नकली करेंसी दिल्ली और आसपास के तीन राज्यों में खपा चुके हैं।
कई चौंकाने वाले खुलासे
बताया गया कि नकली करेंसी तैयार करने वाला अनुराग शर्मा और करेंसी को खपाने वाला विकास भारद्वाज ही मोटा मुनाफा लेते थे। गिरोह के सदस्य इस पैसे से खूब मौज-मस्ती व अय्याशी करते थे।
गिरोह में शामिल हो सकते हैं कई और लोग
इस गिरोह का भंडाफोड़ करने वाली बाहरी-उत्तरी दिल्ली जिला पुलिस की टीम अब इस गोरखधंधे से जुड़े अन्य संदिग्धों की पहचान करने में जुटी है। पुलिस को शक है कि इस कार्य में कई और लोग शामिल हो सकते हैं।
गिरोह से कौन-कौन जुड़े हैं लोग
पुलिस आरोपित से यह उगलवाने का प्रयास कर रही है कि नकली करेंसी की आपूर्ति करने वाले तीनों आरोपित से और कौन-कौन लोग जुड़े हैं। जांच टीम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि नकली करेंसी छापने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का स्त्रोत क्या है।
गांव व कस्बाई आबादी में खपाते थे नोट
पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार चारों आरोपित से आरंभिक पूछताछ में पुलिस को कई अहम जानकारियां हाथ लगी हैं। पूछताछ के दौरान राजस्थान के कोटा शहर का भी कनेक्शन सामने आया है। गिरोह के सदस्य नकली करेंसी को गांव व कस्बाई आबादी के बीच ज्यादा खपाते थे।
चार नकली नोट की एवज में 500 रुपये लेता था आरोपी
पुलिस के अनुसार, अनुराग शर्मा चार नकली नोट की एवज में मुख्य आपूर्तिकर्ता विकास भारद्वाज से 500 रुपये लेता था। इसके बाद विकास अपने अन्य दो साथियों को पांच सौ रुपये के बदले तीन नकली नोट देता था।
पूरे नेटवर्क का पता लगाने में जुटी पुलिस
इस गोरखधंधे से जुड़े हर आदमी का मुनाफा तय कर रखा है। पुलिस पूरे नेटवर्क का पता लगाने में जुटी है। पुलिस का कहना है कि इस गोरखधंधे की कमाई गई रकम को आरोपित मौज मस्ती और अय्याशी पर खर्च करते थे। हर दो-तीन महीने में सैर-सपाटे के लिए गोवा व अन्य पर्यटन स्थलों पर जाते थे।
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वहीं, पुलिस सूत्र बताते हैं कि आरोपित अनुराग शर्मा वर्चुअल मोबाइल नंबर इस्तेमाल करता था।
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