Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रसूखदारों के लिए रात में खुला बैंक, काले धन को किया गया सफेद

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 07 Dec 2016 07:52 AM (IST)

    ग्रेटर नोएडा में रात नौ बजे बैंक खुलाकर काले धन को सफेद किया गया। इस काम के लिए बैंक में प्रबंधक समेत अन्‍य कर्मचारी भी मौजूद रहे।

    नोएडा [ धर्मेंद्र चंदेल ]। नोटबंदी का फायदा उठाने के लिए शहर के कई बैंकों पर फर्जी तरीके से धन कुबेरों और रसूखदारों के पुराने नोट बदलने के आरोप लग रहे हैं। कमीशन के लालच में बैंक कर्मियों ने अपनी नौकरी भी दाव पर लगा दी। बीस से तीस फीसद कमिशन लेकर नोट बदलने की चर्चा है। इनमें एक बैंक नोएडा का है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आरोप है कि बैंक प्रबंधक और अन्य कर्मचारियों ने रात में नौ बजे बैंक खोलकर एक धनकुबेर के 24 लाख रुपये के पुराने नोट बदलकर नए नोट दिए।

    हिरासत में भेजे गए कालेधन की 'सफेेदी' में शामिल एक्सिस बैंक के 2 मैनेजर

    ग्रेटर नोएडा के पांच बैंकों पर भी इस तरह के आरोप लग रहे हैं। बताया जाता है कि ग्रेटर नोएडा के पांच निजी बैंकों ने करीब छह करोड़ रुपये धनकुबेरों का कमीशन लेकर बदला है।

    जिलाधिकारी एनपी सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। एडीएम वित्त केशव कुमार व सिटी मजिस्ट्रेट नोएडा को जांच सौंपी गई है। तीन दिन के अंदर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है। डीएम ने कड़े शब्दों में कहा कि यदि आरोप सही पाए गए तो नोट बदलने वाले बैंक प्रबंधक व कर्मचारी सलाखों के पीछे जाएंगे। उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी।

    दरअसल, नोटबंदी के आदेश के 27 दिन बाद भी बैंकों के बाहर लोगों की कतार कम नहीं हो रही है। ज्यादातर बैंकों पर आरोप लग रहे हैं कि वह पर्याप्त नकदी न होने का बहाना बनाकर लोगों को टरका रहे हैं। केंद्र सरकार ने एक सप्ताह में खाते से 24 हजार रुपये निकालने की सीमा तय की है, लेकिन बैंक प्रबंधक मात्र दो से चार हजार रुपये लोगों को दे रहे हैं।

    लोगों का आरोप है कि बैंक प्रबंधक बचे नोटों को कमीशन लेकर बदल रहे हैं, इसलिए लोगों को कम पैसे दिए जा रहे हैं। खासकर निजी बैंकों पर इस तरह के आरोप अधिक लग रहे हैं। वहीं कालाधन खपाने के लिए धन कुबेर भी तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। रिश्तेदारों और गरीबों के जनधन खाते में पैसा जमा किया गया।

    UP में अजब : नोएडा पुलिस ने खुद करवाई '28 लाख' की फोटोकॉपी

    नोटबंदी के आदेश के बाद पहले सप्ताह में बैंकों ने पुराने नोट बदले थे। नोट बदलने के लिए बैंकों के बाहर कई दिनों तक लंबी कतार लगी। उद्यमी और बिल्डरों पर भी आरोप लगे कि उन्होंने श्रमिकों और मजदूरों को नोट बदलवाने के लिए कतार में लगा दिया।

    एक आइडी से बदले गए कई बार नोट

    जानकारों का कहना है कि बैंक में जमा की गई लोगों की आइडी भारतीय रिजर्व बैंक अथवा केंद्र सरकार को नहीं भेजी गई। उन्हें ऑनलाइन किया गया। बैंक प्रबंधकों ने इसका फायदा उठाते हुए जमा आइडी से हर रोज चार-चार हजार रुपये निकाले गए दर्शाए, जबकि हकीकत में लोगों ने एक-एक अथवा दो-दो बार पुराने नोट बदले। बैंक कर्मियों ने लोगों की एक-एक आइडी से लगातार आठ-दस बार पुराने नोट बदले।

    फर्जी आइडी का सहारा लेकर भी बदले गए नोट

    बाहर से फर्जी तरीके से मंगाई गई आइडी का सहारा लेकर भी पुराने नोट बदले गए। जानकारों का कहना है कि कुछ बैंकों ने गांवों की मतदाता सूची मंगाकर उसमें दर्ज लोगों के नाम और आइडी नंबर को ऑनलाइन कर पुराने नोट बदल दिए। हकीकत में लोगों को यह भी पता नहीं है कि उनकी आइडी से बैंकों से नोट बदले गए हैं।