MCD के इस अस्पताल को नहीं मिली एनओसी, 200 की बजाय 50 बेड का शुरू होगा हॉस्पिटल
दिल्ली नगर निगम बालकराम अस्पताल को अग्निशमन विभाग से एनओसी न मिलने के कारण 50 बिस्तरों से शुरू करने की योजना है। फिलहाल यहाँ डे केयर और आँखों की ओपीडी चल रही है। अगले दो माह में बाल रोग और महिला रोग संबंधित ओपीडी शुरू की जाएगी। अस्पताल में इलाज शुरू होने से तिमारपुर मजनू का टीला और वजीराबाद के लोगों को सुविधा मिलेगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम के बालकराम अस्पताल को अब भी पूरी तरह से शुरू नहीं किया जा सकेगा। अग्निशमन विभाग से फायर की एनओसी न मिलने की वजह से फिलहाल अस्पताल को अब निगम ने 50 बिस्तर से ही शुरू करने की योजना बनाई है। इसे अगले दो तीन माह में निगम शुरू कर देगा।
फिलहाल यहां पर डे केयर आंखो की ओपीडी और आपरेशन थियेटर चलता है। चूंकि अस्पताल काफी समय से बनकर तैयार है तो इसलिए निगम चरणबद्ध तरीके से शुरू करेगा। इसमें अगले दो माह में बाल रोग और महिला रोग संबंधित ओपीडी के साथ ही 50 बिस्तर पर मरीजों को भर्ती और उनके इलाज की सुविधा शुरू की जाएगी।
अस्पताल में इलाज की सुविधा शुरू होने से फिलहाल तिमारपुर और मजनू का टीला, वजीराबाद के लोगों को सुविधा मिल सकेगी।
निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल हम अस्पताल में 50 बिस्तर की सुविधा शुरू करने जा रहे हैं। इससे आस-पास के लोगों को नजदीक ही इलाज की सुविधा मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि अस्पताल में निर्मित आठ मंजिला इमारत में फिलहाल आंखो की ओपीडी और डे-केयर सर्विस चल रही है।
उन्होंने कहा किहमारे जो एमसीडी के अस्पताल हैं वहां पर आंखों के मरीजों को अगर आपरेशन की आवश्यकता पड़ती है तो उसे बालकराम अस्पताल में ही रेफर किया जाता है। अब हम इसमें छोटे बच्चों और महिला रोगों के मरीजों के लिए भर्ती होने की सुविधा के साथ शुरू करेंगे। इसके लिए उपकरण और संसाधनों को जुटाया जा रहा है।
इस अस्पताल की इमारत पुरानी होने की वजह से यहां पर नई इमारत बनाने की योजना वर्ष 2006 में बनी थी। एक सितंबर 2007 को तत्कालीन महापौर आरती मेहरा ने इसका शिलान्यास कराया था। पहले यह अस्पताल 100 बिस्तर का बनना था लेकिन बाद में इसे 200 बिस्तर का अपग्रेड करके बनाया गया। इसकी वजह से इस अस्पताल की परियोजना राशि भी 68 करोड़ से बढ़कर 100 करोड़ से अधिक हो गई थी।
यह अस्पताल 2020 में बनकर तैयार हो गया था लेकिन इसके एक प्रवेश और निकास द्वार पर दो पेड़ों की वजह से अस्पताल को अग्निशमन विभाग से एनओसी नहीं मिल पा रही है। इन दो पेड़ों की वजह से समस्या यह आ रही है कि प्रवेश और निकास द्वार पर दो पेड़ों के होने के चलते आपातकालीन वाहन इसके अंदर नहीं जा पाएंगे। इसकी वजह से अग्निशमन विभाग ने इसे एनओसी नहीं दी।
साथ ही मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जैसे ही पेड़ को स्थानांतरित या फिर काटने की अनुमित मिलेगी या फिर तो फायर एनओसी की प्रक्रिया को भी पूरा किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के दौरान स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से तत्कालीन महापौर जय प्रकाश ने इसको कोरोना का क्वारंटाइन सेंटर बनाया था। जहां हल्के लक्षण वाले मरीजों को यहां पर रखा जा रहा था।
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