सैंपल हुआ खराब और अब गायब हो गई दुष्कर्म पीड़िता, गर्भवती होने पर पहले पिता फिर प्रेमी पर लगाया था आरोप
दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने नाबालिग बलात्कार मामले में आरोपी सुनील कुमार को जमानत दी क्योंकि विसरा जांच के नमूने खराब हो गए थे और पीड़िता भी लापता है। अदालत ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट और पीड़िता के गायब होने से ट्रायल आगे नहीं बढ़ पा रहा है। पीड़िता ने पहले अपने पिता पर फिर प्रेमी पर आरोप लगाया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दुष्कर्म से जुड़े एक मामले में विसरा जांच के लिए लिए गए सैंपल खराब होने और नाबालिग पीड़िता के लापता होने के कारण कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को जमानत दे दी।
तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अंकित मेहता ने आरोपी सुनील कुमार को 20 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की एक जमानती पर जमानत दी।
इस दौरान कोर्ट ने कहा कि एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैब) रिपोर्ट न आने और पीड़िता के गायब हो जाने के कारण ट्रायल आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
ऐसे में आरोपी को अनिश्चितकाल तक जेल में रखना उचित नहीं होगा। आरोपी केवल 21 वर्ष का है और लंबे समय तक जेल में रहना, उसके भविष्य को बर्बाद कर देगा।
अदालत ने कहा कि जमानत देते हुए कहा कि अब ट्रायल एफएसएल रिपोर्ट और पीड़िता की उपलब्धता के बाद ही मामला आगे बढ़ेगा।
यह मामला रणहौला थाने का है। पीड़िता गर्भवती थी। उसने पहले पीसीआर काॅल करके अपने पिता पर आरोप लगाया। बाद में जांच अधिकारी को प्रेमी के साथ सहमति से यौन संबंध होना बताया।
इसकी वजह से वह गर्भवती हुई। पुलिस ने प्रेमी के विरुद्ध केस दर्ज कर जांच शुरू की। गर्भ में पल रहे भ्रूण के पिता का पता लगाने के लिए भ्रूण के साथ पीड़िता, आरोपित सुनील कुमार और पीड़िता के पिता के खून के सैंपल विसरा जांच के लिए एफएसएल भेजे थे।
छह जून, 2025 में कोर्ट में आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया। 10 जुलाई 2025 को अदालत ने मामले में आरोप तय करने से पहले एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार करने का आदेश दिया था।
लेकिन आठ सितंबर 2025 को जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि सभी विसरा जांच को लिए गए खून के नमूने खराब हो चुके हैं और एफएसएल ने नए सैंपल मांगे, लेकिन 11 अगस्त से ही पीड़िता लापता है।
जांच अधिकारी ने कहा कि इस स्थिति में न तो पुराने सैंपल से डीएनए रिपोर्ट आ सकी और न ही नए सैंपल लिए जा सके।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से पेश वकील तरुण नारंग ने दलील दी कि ये मामला असल में प्रेम संबंध का है, दुष्कर्म का नहीं। पीड़िता की मां उसे जानबूझकर छिपा रही है ताकि आरोपी की जमानत रोकी जा सके।
वहीं, विशेष लोक अभियोजक ने दलील दी कि नाबालिग की सहमति कानूनन मान्य नहीं होती। उन्होंने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ये यौन शोषण का गंभीर मामला है।
पीड़िता की मां की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि पीड़िता ने अपने बयान में स्वीकार किया था कि आरोपी से शारीरिक संबंध बने। इसलिए इसे प्रेम प्रसंग बताकर आरोपी राहत नहीं पा सकता है। हालांकि कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी।
सुबूतों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित न करने और बिना कोर्ट की अनुमति के देश छोड़ कर न जाना शामिल है।
इसलिए खराब हुआ नमूने
विशेषज्ञों के अनुसार, खून के लिए गए नमूने खराब होने की वजह गलत या लापरवाही से किया गया भंडारण और परिवहन प्रक्रिया हो सकती है।
एफएसएल में नमूनों का तापमान और समय पर सही तरीके से संरक्षण न होने के कारण नमूने डीएनए विश्लेषण योग्य नहीं रहे।
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