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    जमानत पर रिहा होने का सोशल मीडिया पर मनाया जश्न, दिल्ली HC ने याची की शिकायत पर की अहम टिप्पणी

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 05:51 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक आरोपी की जमानत रद करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि जमानत मिलने का जश्न मनाने पर जमानत रद नहीं की जा सकती जब तक कि शिकायतकर्ता को धमकी न दी जाए। अदालत ने शिकायतकर्ता जफीर आलम की याचिका खारिज कर दी जिसमें आरोपी मनीष की जमानत रद्द करने की मांग की गई थी।

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    इंटरनेट मीडिया पर जश्न मनाना जमानत रद करने का अधार नहीं: हाई कोर्ट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एक आरोपी की जमानत को रद करने से इनकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को कोई धमकी दिए बगैर किसी आरोपी या उसके साथियों द्वारा इंटरनेट मीडिया पर जमानत मिलने का जश्न मनाना ऐसी राहत को रद करने का आधार नहीं है।

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    न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा की पीठ ने कहा कि इस तरह का तर्क उचित नहीं है कि आरोपी या उसके साथियों ने सोशल मीडिया पर वीडियो और स्टेटस अपलोड करके जमानत मिलने का जश्न मनाया। अदालत ने इस टिप्पणी के साथ शिकायतकर्ता जफीर आलम की याचिका खारिज कर दी।

    शिकायतकर्ता ने आईपीसी की धारा-436 (आग या विस्फोटक पदार्थ से शरारत), 457 (रात में घर में जबरन प्रवेश या सेंधमारी), 380 (आवास में चोरी) मामले में आरोपी मनीष को दी गई जमानत रद करने की मांग की थी।

    ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए शर्त लगाई थी कि वह गवाहों को किसी भी तरह से न तो धमकी देगा और न ही सुबूतों से छेड़छाड़ करेगा।

    शिकायतकर्ता ने कहा कि याची व उसके दोस्तों ने जमानत पर बाहर आने जश्न इंटरनेट मीडिया पर मनाया। इसमें घातक हथियारों का प्रदर्शन किया और कानून का खुलेआम अवहेलना करते हुए उसे धमकियां दीं।

    हालांकि, याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि पहले से दी गई जमानत को रद करने का निर्देश देने के लिए बहुत ही ठोस सामग्री की आवश्यकता होती है।

    पीठ ने कहा कि सिर्फ इसलिए जमानत रद नहीं की जा सकती क्योंकि सह-अभियुक्तों में से एक को शिकायतकर्ता के घर के सामने देखा गया था, लेकिन इस मामले में काेई शिकायत नहीं हुई थी।

    पीठ ने कहा कि पुलिस में कोई शिकायत दर्ज न होने के कारण धमकी के आरोप सिद्ध नहीं होते हैं। ऐसे में आरोपी की जमानत रद करने का कोई उचित कारण नहीं पाता है।

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