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    कूड़ेदान में मिला नवजात बच्चा, फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने बचाई जान

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Thu, 01 Feb 2018 12:26 PM (IST)

    अस्पताल प्रशासन के अनुसार पांच जनवरी को पुलिस बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची थी। जन्म के तुरंत बाद उसे कूड़ेदान में फेंक दिया गया था। गर्भनाल भी नहीं का ...और पढ़ें

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    कूड़ेदान में मिला नवजात बच्चा, फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने बचाई जान

    नई दिल्ली [जेएनएन]। जाको राखे साइयां, मार सके न कोय..यह कहावत एक बार फिर चरितार्थ हुई है। कूड़ेदान में मिले एक नवजात बच्चे का वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज कर उसे नया जीवनदान दिया है। 15 दिन तक आइसीयू में भर्ती रहने के बाद बच्चा स्वस्थ हो गया। परवरिश के लिए उसे एक गैर सरकारी सगंठन को सौंप दिया गया है।

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    सिहर उठते हैं डॉक्टर 

    बच्चे की हालत याद कर डॉक्टर अब भी सिहर उठते है। पुलिस प्रशासन, अस्पताल के डॉक्टरों व नर्सों ने दरियादिली दिखाई जिसकी वजह से एक जीवन बच सका। अस्पताल प्रशासन के अनुसार पांच जनवरी को पुलिस बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंची थी। जन्म के तुरंत बाद उसे कूड़ेदान में फेंक दिया गया था। गर्भनाल भी नहीं काटी गई थी। बच्चे का शरीर ठंडा पड़ गया था और ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो गई थी।

    भगवान बने डॉक्टर 

    हालत यह थी कि नवजात ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था। अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग के निदेशक व प्रमुख डॉ. राहुल नागपाल ने बताया कि इमरजेंसी में डॉक्टरो ने बच्चे को गर्म पानी से ठीक से साफ किया। इसके बाद उसे आइसीयू में भर्ती कर वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया। आइसीयू में छह दिन बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ और 15 दिन बाद आइसीयू से बाहर निकल पाया। बच्चे का निशुल्क इलाज किया गया है। अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका की सराहना की है।

    कूड़ेदान में मिला बच्ची का शव 

    यहां पर हम आपको एक और घटना के बारे में बता दें हाल ही में सफदरजंग अस्पताल में एक बच्ची कूड़ेदान में मिली थी। उसे अस्पताल में शवगृह के पास फेंक दिया गया था। शिशु के हाथ पर लगे सीआर नंबर से अस्पताल का रिकॉर्ड खगाला गया। रिकॉर्ड से पता चला है कि अस्पताल में ही उसका जन्म 27 जनवरी को हुआ था। उसकी मां की पहचान राजापुरी निवास निशा के रूप में हुई थी। बच्ची समय पूर्व पैदा हुई थी। उस वक्त उसका वजन 1.42 किलोग्राम था जिस कारण उसकी मौत हो गई थी।

    मौत की खबर से दुखी था पिता 

    बच्ची की मौत के बाद उसके पिता रामदेव ने उसे कूड़ेदान में फेंक दिया और घर चला गया। पिता रामदेव ने पुलिस को बताया है कि वह मौत की खबर से दुखी हो गया था। इसलिए उसने बच्ची को कूड़े के ढेर में फेंक दिया। पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि इससे पहले भी इस दंपती के तीन बच्चों की ऐसे ही मौत हो चुकी है। निशा भी कमजोर थी इस कारण वह काफी परेशान हो गया था। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। 

    इन बातों का रखें ध्यान 

    कई बार जन्म के बच्चा रोता नहीं है, तो गांव की दाई या नर्स बच्चे को उल्टा करके पीठ थपथपाती हैं। यह तरीका गलत है। ऐसे समय में उन्हें चाहिए कि वो अपने मुंह से बच्चे के मुंह में सांस दें। इससे बच्चा रोने लगेगा। बच्चों की मौत का बड़ा कारण संक्रमण भी है। इसकी पहचान बच्चे का सुस्त रहना, दूध नहीं पीना और कम पेशाब करना है। ऐसे बच्चे को तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

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