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    विदेश में आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा के लिए सरकार ने कई नए पाठ्यक्रम को दी मान्यता

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 04:28 AM (IST)

    पश्चिमी दिल्ली में वैद्य वंदना सिरोहा ने बताया कि विदेशों में आयुर्वेद की लोकप्रियता बढ़ रही है जिसके कारण कई पाठ्यक्रमों को मान्यता मिल रही है। आयुष मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में विदेशी चिकित्सकों को भी स्वीकृति दी गई है। राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर तीन विद्वानों को धन्वंतरि सम्मान और पांच लाख रुपये की धनराशि से सम्मानित किया गया जिसमें प्रो बनवारी लाल गौर शामिल थे।

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    विदेश में आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा के लिए सरकार ने कई नए पाठ्यक्रम को दी मान्यता

    जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। पंजाबी बाग वेस्ट स्थित धन्वंतरी भवन के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ आयुष मंत्रालय भारत सरकार की निदेशक वैद्य वंदना सिरोहा ने बताया कि आयुर्वेद की लोकप्रियता विदेशों में दिन प्रतिदिन बढ़ती ही चली जा रही है। यही कारण है कि वेदेश में आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा करने के लिए कई पाठ्यक्रमों को सरकार मान्यता दे रही है।

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    वैद्य वंदना सिरोह ने बताया कि आयुष मंत्री प्रताप रावजाधव की अध्यक्षता तथा वैद्य राजेश कुटेचा आयुष सचिव की उपस्थिति में आयुर्वेद प्रशिक्षण प्रत्यायन बोर्ड की एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में 113 आयुर्वेद पाठ्यक्रमों और 41 विदेशी आयुर्वेद चिकित्सकों को विदेश में आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा करने हेतु मान्यता प्रदान की गई।

    जिसमें 24 भारतीय संस्थानों के 99 पाठ्यक्रम और दो देशों के 14 अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रम शामिल हैं। इस बोर्ड द्वारा विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद शिक्षा के मानकीकरण और विश्वसनीयता में महत्वपूर्ण योगदान होगा।

    वैद्य वंदना सिरोह ने बताया कि राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान गोवा में आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव की अध्यक्षता में तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित गोवा के मुख्यमंत्री वैद्य प्रमोद सावंत, आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा , पदम् विभूषित वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा, सलाहकार आयुष मंत्रालय की उपस्थिति में आयुर्वेद के सर्वोच्च सम्मान राष्ट्रीय आयुर्वेद धन्वंतरि सम्मान तथा 5 लाख रुपए की धनराशि आयुर्वेद की उत्कृष्ट सेवा करने वाले आयुर्वेद के तीन विद्वानों को प्रदान की गई। वरिष्ठ गुरु एवं सदस्य, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी ने बताया कि पुरस्कार प्राप्त करने वालों में प्रो बनवारी लाल गौर, वैद्य नीलकंठम व वैद्य भावना पाराशर शामिल हैं।