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    दिल्ली में प्रदूषण घटाने का नायाब तरीका निकाला, अक्टूबर-नवंबर में कृत्रिम वर्षा को कानपुर IIT से करार

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 03:36 PM (IST)

    दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर ने कृत्रिम वर्षा के ट्रायल के लिए समझौता किया है। केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक की अनुमति दी है। मुख्यमंत्री ने प्रदूषण से निपटने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया। परीक्षण उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में सुबह 7 से 9 बजे के बीच होंगे। यह परियोजना दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने में मदद करेगी।

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    कृत्रिम वर्षा के लिए दिल्ली सरकार और आइआइटी कानपुर के बीच हुआ समझौता

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रदूषण से जंग में कृत्रिम वर्षा के ट्रायल के लिए दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर ने बृहस्पतिवार को सचिवालय में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता केंद्र सरकार से एक अक्टूबर से 30 नवंबर तक के लिए ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद किया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा भी उपस्थित रहे।

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    आगे के ट्रायल की संख्या तय की जाएगी

    सीएम ने कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए उनकी सरकार "हर संभव मोर्चे" पर काम कर रही है। इसमें इलेक्ट्रिक परिवहन को बढ़ावा देने से लेकर स्माग के उत्सर्जन को कम करना शामिल है।

    उन्होंने कहा, "इस समझौता ज्ञापन से दो महीने के कृत्रिम वर्षा के ट्रायल का मार्ग प्रशस्त होगा, जो अक्टूबर और नवंबर में उपयुक्त दिनों पर विमानों का उपयोग करके किया जाएगा।

    इसके परिणाम हमें आगे की राह तय करने में मदद करेंगे। यह पहल ऐतिहासिक और दिल्ली के लिए लाभकारी साबित होगी।"

    सिरसा ने कहा कि यह पायलट परियोजना राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वैकल्पिक तकनीक का प्रदर्शन होगी। उन्होंने कहा, "ट्रायल उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में निर्धारित दिनों में सुबह सात से नौ बजे के बीच होंगे। परिणामों के आधार पर आगे के ट्रायल की संख्या तय की जाएगी।"

    13 एजेंसिंयों से समन्वय स्थापित

    कृत्रिम वर्षा के ट्रायल को तेज़ी और सुरक्षित तरीके से शुरू करने के लिए दिल्ली सरकार ने 13 एजेंसियों से जुड़ी जटिल अनुमति प्रक्रिया का समन्वय किया। इसमें नागरिक उडडयन, रक्षा, गृह, पर्यावरण और एयरपोर्ट अथारिटीज़ समेत मौसम विभाग और ज़िला स्तर की मंजूरी शामिल रही।

    इस प्रयास में उड़ान सुरक्षा, साइट तैयारियां (उत्तर/उत्तर-पश्चिम इलाका, हिंडन एयर बेस आपरेशन) और ज़मीनी अनुपालन शामिल रहे। इसी से डीजीसीए अनुमति विंडो संभव हो सकी एवं अक्टूबर की शुरुआत में ट्रायल का रास्ता साफ हुआ।

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