1994 की फिल्म 'अंदाज अपना अपना' को लेकर हाईकोर्ट का फैसला, नाम और डायलॉग के अवैध इस्तेमाल पर लगाई रोक
दिल्ली हाई कोर्ट ने 1994 की हिंदी फिल्म अंदाज अपना अपना के शीर्षक और संवादों के अनधिकृत इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने 30 से अधिक पक्षों को फिल्म से जुड़ी चीजों का उपयोग न करने का आदेश दिया है। यह फैसला विनय पिक्चर्स द्वारा दायर मुकदमे में पारित किया गया जिसमें ट्रेडमार्क अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने 1994 में बनी हिंदी फिल्म अंदाज अपना अपना के शीर्षक, संवाद और रचनात्मक कार्य के अनधिकृत उपयोग पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए 30 से अधिक पक्षों को फिल्म के शीर्षक और उससे जुड़ी अन्य चीजों का उपयोग न करने को कहा है।
ट्रेडमार्क अधिकारों के उल्लंघन का आरोप
पीठ ने उक्त आदेश विनय पिक्चर्स द्वारा फिल्म के निर्माता विनय सिन्हा के कानूनी उत्तराधिकारी शांति विनयकुमार सिन्हा के माध्यम से दायर मुकदमे में एकतरफा पारित किया। वादी ने मर्चेंडाइज, डिजिटल कंटेंट, डोमेन नाम और एआई-जनरेटेड कंटेंट के जरिए ट्रेडमार्क अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
अंतरिम आदेश पारित करते हुए पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला वादी के पक्ष में है और यदि अंतरिम रोक नहीं दी गई तो वादी को अपूरणीय क्षति होगी। सुनवाई के दौरान विनय पिक्चर्स ने दलील दी कि दिवंगत विनय सिन्हा द्वारा निर्मित अंदाज अपना अपना अभी भी लोकप्रिय है और वादी अभी भी फिल्म के शीर्षक, साहित्यिक और नाटकीय कार्यों के साथ-साथ पात्रों का मालिक है।
उदाहरण देते हुए कहा गया कि यह फिल्म अभी भी क्राइम मास्टर गोगो, "आंखें निकाल के गोटियां खेलता हूं मैं, "तेजा मैं हूं, मार्क इधर है!" जैसी पंक्तियों के लिए जानी जाती है।
वादी ने "आइला" और "ओइमा" जैसे वाक्यांशों पर पंजीकृत ट्रेडमार्क का भी हवाला दिया और दावा किया कि लोगों के दिमाग में इनका दूसरा मतलब है। ऐसी स्थिति में प्रतिवादियों को उक्त वाक्यों का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
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