...कहीं इतिहास न बन जाएं 600 साल पुराना ऐतिहासिक धरोहर
करीब 600 साल पुराने इन स्मारकों में दो काल की सुंदर वास्तुकला को देखा जा सकता है। सैयद काल में मुहम्मद शाह का मकबरा बनाया गया था।
नई दिल्ली [ विजयालक्ष्मी ] । लगभग छह सौ साल पुराना इतिहास अपने में समेटे लोधी गार्डन पिछले कई साल से उपेक्षा का दंश झेल रहा है।
गार्डन की खूबसूरती को चार चांद लगाने वाले ऐतिहासिक स्मारक जर्जर हो चुके हैं और उनकी ईंटें दरक रही हैं। कुतुब मीनार की तर्ज पर बनी बड़ा गुंबद मस्जिद की मीनार में दरारें पड़ चुकी हैं।
स्मारकों का संरक्षण करने वाली संस्था भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) इनकी सुध नहीं ले रहा हे, ऐसे में डर है कि कहीं यह ऐतिहासिक धरोहरें इतिहास बनकर न रह जाएं।
लोधी गार्डन में सिकंदर लोधी का मकबरा, गेटवे व मस्जिद, शीश गुंबद, सैयद वंश के मुहम्मद शाह का मकबरा, बाड़ा गुंबद स्मारक और एक आठपुला पुल है।
इन स्मारकों के संरक्षण के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी योजना बनी थी, लेकिन संरक्षण का काम हो नहीं सका। चार साल पहले संरक्षण का काम इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज (इंटैक) से कराए जाने की योजना बनी, लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाई।
एएसआइ और इंटैक के बीच करार हो नहीं सका लिहाजा साल 2015 में एएसआइ ने इन सभी स्मारकों का संरक्षण करने की योजना बनाई। हालांकि इन तमाम कोशिशों के दो साल बाद भी इन स्मारकों के संरक्षण का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है।
गौरतलब है कि स्मारकों के बेहतर देख-रेख के लिए राजधानी के स्मारकों को सर्कल में भी विभाजित कर दिया। लोधी गार्डन मिनी सर्कल के तहत आता है।
एएसआइ के संबंधित विभाग के अधिकारी बताते हैैं कि इन स्मारकों का काम अब जल्द शुरू किया जाएगा। मौजूदा समय में आठपुला के पास बनी सिकंदर लोधी के मकबरे में काम शुरू किया जा रहा है।
बेहतरीन वास्तुकला का उदारहण
करीब 600 साल पुराने इन स्मारकों में दो काल की सुंदर वास्तुकला को देखा जा सकता है। सैयद काल में मुहम्मद शाह का मकबरा बनाया गया था। वहीं लोधी काल में शीश महल, सिंकदर लोधी और बड़ा गुंबद का निर्माण हुआ था। बड़ा गुंबद मस्जिद के दरवाजों पर कुरान की आयतें उकेरी गई हैं।
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