Same Gender Marriage: समलैंगिक विवाह को अनुमति देगी नए विवाद को जन्म- हिंदू महासभा
अखिल भारत हिंदू महासभा ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की स्थिति में कई तरह के नए विवाद पैदा होने का अंदेशा जताया है। साथ ही इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट को आगे बढ़ने से पहले धर्मगुरुओं चिकित्सा क्षेत्र समाज विज्ञानियों और शिक्षाविदों से राय लेने का आग्रह किया है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अखिल भारत हिंदू महासभा ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की स्थिति में कई तरह के नए विवाद पैदा होने का अंदेशा जताया है। साथ ही इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट को आगे बढ़ने से पहले धर्मगुरुओं, चिकित्सा क्षेत्र, समाज विज्ञानियों और शिक्षाविदों की समितियां बनाकर उनकी राय लेने का आग्रह किया है।
महासभा के अध्यक्ष मुन्ना कुमार शर्मा के अनुसार, समलैंगिक विवाह को मान्यता देश की सभ्यता और संस्कृति के लिए नुकसानदेह सिद्ध होगी। इस विषय में जल्दबाजी भारतीय समाज के लिए घातक साबित होगा।
उन्होंने सवाल किया कि एक ओर तो समलैंगिक संबंधों को प्रकट करने के लिए मना किया गया, वहीं दूसरी ओर उनके विवाह की अनुमति पर विचार किया जा रहा है। क्या इससे निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा? विवाह का विषय विभिन्न आचार संहिताओं द्वारा संचालित होता है। भारत में प्रचलित कोई भी आचार संहिता इनकी अनुमति नहीं देती। क्या सर्वोच्च न्यायालय इन सब में परिवर्तन लाएगा?
इसी तरह हिंदू धर्म में शादी केवल यौन सुख भोगने का एक अवसर नहीं है। इसके द्वारा शारीरिक संबंधों को संयमित रखना, संतति निर्माण करना, उनका उचित पोषण करना, वंश परंपरा को आगे बढ़ाना और अपनी संतति को समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनाना भी है।
समलैंगिक विवाहों में ये संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं। यदि इसकी अनुमति दी गई, तो कई प्रकार के विवादों को जन्म दिया जाएगा। दत्तक देने के नियम, उत्तराधिकार के नियम, तलाक संबंधी नियम आदि को विवाद के अंतर्गत लाया जाएगा।
समलैंगिक संबंध वाले अपने आप को लैंगिक अल्पसंख्यक घोषित कर अपने लिए विभिन्न प्रकार के आरक्षण की मांग भी कर सकते हैं। यह ऐसे अंतहीन विवादों को जन्म देगा, जो स्वयं सर्वोच्च न्यायालय के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन सकता है। मुन्ना शर्मा ने कहा कि ऐसे में सुप्रीम से आग्रह है कि इस विषय में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के अनुसार ही निर्णय लिए जाएं।