उत्तर भारत के लाखों लोग प्रदूषण से परेशान, पर इनके लिए है फायदे का सौदा, जानें- कैसे
बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर आलम यह है कि खासकर दिल्ली-एनसीआर में लोग प्रदूषण से बचने के लिए मास्क और एयर प्यूरीफायर की जमकर बिक्री कर रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। उत्तर भारत के तकरीबन सभी शहरों में नवंबर के पहले हफ्ते में ही वायु प्रदूषण बढ़ने के बाद लाखों लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया है। देश की राजधानी दिल्ली के साथ एनसीआर के शहरों का भी बुरा हाल है। वहीं, प्रदूषण का लाखों लोगों पर कहर कुछ कंपनियों के लिए मुनाफे का कारोबार बन गया है। खासकर एयर प्यूरिफायर बनाने वाली कंपनियां प्रदूषण की समस्या को मौके के रूप में देखते हुए मैदान में कूद पड़ी हैं।
इन दिनों आलम यह है कि खासकर दिल्ली-एनसीआर में लोग प्रदूषण से बचने के लिए मास्क और एयर प्यूरिफायर की जमकर खरीददारी कर रहे हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान एयर प्यूरिफायर और मास्क की बिक्री में तेजी से इजाफा हुआ है। अब कंपनियों ने टीवी और अखबारों में विज्ञापन भी देना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही कंपनियां बाजारवाद के सिद्धांतों के तहत प्रदूषण के खतरे को अपने विज्ञापनों में दिखा रही हैं। दिल्ली, वेस्ट यूपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों में प्रदूषण के चलते लोग मास्क व एयर प्यरिफायर खरीद रहे हैं।
मास्क की खरीददारी में इजाफा
पिछले एक पखवाड़े के दौरान मास्क की बिक्री में जबरदस्त इजाफा हुआ है। जो लोग एयर प्यूरिफायर नहीं खरीद पा रहे वे मास्क की खरीददारी कर रहे हैं। लोग मास्क इतनी बड़ी संख्या में खरीद रहे हैं कि इसकी किल्लत हो रही है और बिचौलिये इसकी कालाबाजारी करने में जुट गए हैं।
मास्क खरीददारी में 20-30 फीसद तक बढ़ोतरी
दवा कारोबारियों की मानें तो दिवाली के बाद तो मास्क की डिमांड तेजी से बढ़ी है। अब बाजार में 30 रुपये से लेकर 150 रुपये तक के मास्क बिक रहे हैं, वहीं महंगे मास्क और महंगे हुए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि मास्क की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। जानकारों की मानें तो प्रदूषण के बढ़ने के साथ एयर प्यूरिफायर की मांग में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है, जबकि सिर्फ मास्क की मांग में 20 से 30 फीसद तक की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
डिजाइनर मास्क की बढ़ी मांग
प्रदूषण के मद्देनजर हाई फैशन मास्क भी बाजार में हैं। इसमें बटरफ्लाई मास्क से लेकर ग्रिड, स्टार उपलब्ध हैं।इस कड़ी में मास्क में एन-99 फिल्टर सिस्टम भी लगा है। इसको लगाने से किसी को सांस लेने में परेशानी भी नहीं होती है।
वहीं, वॉशेबल मास्क भी बाजारों में मिल रहे हैं। इसे एक हफ्ते से लेकर एक साल तक इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसे मास्क की कीमत 250 से 2000 रुपये तक है। इनके अंदर ऐसे फाइबर और तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो एनवायरनमेंट फ्रेंडली है। वहीं, टोटोबोबो मास्क में एन95 फिल्टर लगा हुआ है। इसको कोई भी अपने चेहरे की बनावट के हिसाब से फिट कर पहन सकता है। उधर, एन-95 मास्क भी खूब बिक रहा है। इसके थोक और खुर्दरा मूल्य अलग है। यह 120 रुपये में मिलता है, लेकिन मांग बढ़ने के साथ इसकी कीमत 200-300 रुपये के बीच पहुंच गई है।
इस साल भी बढ़ा एयर प्यूरिफायर का कारोबार
दिल्ली-एनसीआर में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में एयर प्यूरिफायर का सालाना बाजार करीब 500 करोड़ रुपये से अधिक का हो चुका है। पिछले तीन सालों के दौरान इसमें कई गुना इजाफा हुुआ है। पहले उच्च आय वर्ग के लोग ही एयर प्यूरिफायर खरीदते थे, लेकिन यह अब मध्य आय वर्ग के घर में भी प्रवेश कर चुका है। इस साल खासकर दिवाली के बाद प्रदूषण में इजाफे के बाद एयर प्यूरिफायर की बिक्री में तेजी से उछाल आया है। एक अनुमान के मुताबिक, साल भर में 2 लाख प्यूरिफायर की बिक्री वाला बाजार एक-दो महीनों 4 लाख तक पहुंच सकता है। बिक्री में इजाफे के चलते इस क्षेत्र में कई नई कंपनियां भी उतर आई हैं। पहले इस क्षेत्र में एलजी, केंट और क्रॉम्प्टन ग्रीव्ज ही थीं।
दफ्तरों में भी लगाए जा रहे एयर प्यूरिफायर
जानकारों की मानें तो घर के साथ कार्यालयों में भी लगाने के लिए एयर प्यूरिफायर खरीदे जा रहे हैैं। जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक, दिल्ली के साथ गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा जैसे शहरों में बने दफ्तरों में काम करने वाले अधिकारियों ने स्वास्थ्य के मद्देनजर एयर प्यूरिफायर खरीदकर लगवाना शुरू कर दिया है।
अगले तीन महीनों तक एयर प्यूरिफायर की बिक्री रहेगी जारी
एक ई-कॉमर्स वेबसाइट के मुताबिक, वर्ष 2016 में 2015 के मुकाबले 400 फीसद ज्यादा एयर प्यूरिफायर बेचे गए थे। वहीं, 2017 में 2016 के मुकाबले 500 फीसद ज्यादा एयर प्यूरिफायर बेचे। साल 2018 में प्यूरिफायर की बिक्री में सितंबर महीने के मुकाबले अक्टूबर में 450 फीसद ज्यादा बिक्री दर्ज की गई है। नवंबर, दिसंबर और जनवरी में भी एयर प्यूरिफायर ब्रिकी में इजाफे का अनुमान है।
एक रिसर्च बताती है कि वर्ष 2017 में देश में तकरीबन दो लाख एयर प्यूरीफाइंग मशीनें खरीदी गई थीं। अनुमान के मुताबिक, साल 2022 तक ये बाजार 14.5 फीसद की दर से आगे बढ़ सकता है।
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