वायु प्रदूषण से एशियाई देशों में तेजी बढ़ रहा है कैंसर का खतरा, इसे रोकने की योजनाएं हैं कमजोर: रिपोर्ट
एशियाई देशों में वायु प्रदूषण से कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है पर रोकथाम के उपाय कमजोर हैं। लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की रिपोर्ट में 21 देशों को शामिल किया गया है। एम्स दिल्ली के डॉ. अभिषेक शंकर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। रिपोर्ट के अनुसार कैंसर नियंत्रण के प्रयासों को तुरंत मजबूत करने की जरूरत है ताकि मृत्यु दर को कम किया जा सके।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: एशियाई देशों में वायु प्रदूषण से कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसे रोकने और नियंत्रित करने की योजनाएं अभी भी कमजोर नजर आ रही हैं।
यह खुलासा हाल ही में ‘द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित एक बड़ी समीक्षा में हुआ है। इसमें एशिया के 21 देशों को शामिल किया गया।
इस समीक्षा में भारत का प्रतिनिधित्व एम्स दिल्ली के रेडिएशन आन्कोलाजी विभाग के डाॅ. अभिषेक शंकर ने किया।
रिपोर्ट के अनुसार, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने कैंसर रोकथाम की पांच वर्षीय योजनाओं को अपनाकर मृत्यु दर को कम किया है, जबकि कई अन्य देशों की स्थिति चिंताजनक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक स्थिति के अलावा भी कई कारक राष्ट्रीय कैंसर योजनाओं को प्रभावित करते हैं। केवल नीति बनाना पर्याप्त नहीं है, उपचार, जांच और जीवन के अंतिम चरण की देखभाल को मजबूत करना जरूरी है।
एम्स के डाॅ. अभिषेक शंकर के अनुसार, कैंसर नियंत्रण के प्रयासों को तुरंत मजबूत करने की जरूरत है। वायु प्रदूषण जैसे बड़े कारकों को योजनाओं में शामिल कर ठोस कार्रवाई करनी होगी।
वायु प्रदूषण से कैंसर की रोकथाम पर क्या है स्थिति
वायु प्रदूषण से कैंसर के खतरे को सिर्फ 43 प्रतिशत योजनाओं में शामिल किया गया है। इनमें ज्यादातर मध्यम आय वर्ग के देश हैं। 91 प्रतिशत योजनाओं में इलाज का प्रोटोकाल शामिल है, लेकिन जीवन के अंतिम चरण की देखभाल केवल 48 प्रतिशत योजनाओं में दिखाई दी।
कैंसर के मामले और मौत का बोझ
एशिया में विश्व की 59 प्रतिशत आबादी रहती है। 49.2 प्रतिशत नए कैंसर के मामले यहीं सामने आते हैं। 56.1 प्रतिशत कैंसर से होने वाली मौतें भी एशिया में होती हैं।
2050 तक एशिया में कैंसर से मौत के मामले 97.1 प्रतिशत तक बढ़ने की आशंका जताई गई है, जो वैश्विक औसत 89.7 प्रतिशत से कहीं ज्यादा है।
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