AIIMS Ransomware Attack: एम्स में लगे सभी कंप्यूटर को किया जाएगा फार्मेट, सभी विभागों को बैकअप रखने का आदेश
AIIMS Ransomware Attack देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में सर्वर हैक हुए छह दिन बीत चुके हैं। सर्वर ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है जिसके कारण मरीजों की परेशानी पढ़ गई है। इमरजेंसी ओपीडी और लैब अन्य सेवा सभी मैनुअली दी जा रही है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एम्स के सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक के बाद संस्थान में लगे हर कंप्यूटर को फार्मेट किया जा रहा है। इसके मद्देनजर एम्स प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों व सभी सेंटरों के प्रमुख को आदेश दिया है कि वे कंप्यूटर से बैकअप डाटा अलग हार्ड डिस्क में ले लें। इस सप्ताह सभी कंप्यूटर को फार्मेट कर लिया जाएगा। एम्स में करीब पांच हजार कंप्यूटर सिस्टम और 50 सर्वर है। रैनसमवेयर अटैक के बाद ही सर्वर व कंप्यूटर को स्कैन करने का काम शुरू कर दिया गया था।
बताया जा रहा है कि अभी तक करीब 700 कंप्यूटर और 25 सर्वर को स्कैन किया जा चुका है। हर कंप्यूटर को स्कैन करने में काफी दिन लग जाते। इसलिए हर कंप्यूटर सिस्टम के पुराने साफ्टवेयर को हटाकर नया साफ्टवेयर अपलोड करने का काम शुरू किया गया है। रैनसमवेयर का अटैक होने पर यह बात सामने आई थी कि इस तरह के खतरों से सुरक्षा के लिए फायरवाल और एंटीवायरस साफ्टवेयर नहीं था, जिसके कारण हैकर एम्स के सर्वर में सेंध लगाने में कामयाब रहे थे।
क्या है रैनसमवेयर अटैक
साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल ने बताया कि रैनसमवेयर एक खतरनाक कंप्यूटर साफ्टवेयर है जो फोन या कंप्यूटर के सिस्टम में पहुंचकर उसपर कब्जा कर लेता है। इस वजह से डाटा पर इसका कब्जा हो जाता है।-इसके बाद न ही लाग-इन किया जा सकता है और न ही फाइलों को खोला जा सकता है।-स्क्रीन पर एक संदेश दिखाई देता है कि आपका सिस्टम हैक किया जा चुका है। डाटा सही सलामत वापस हासिल करना चाहते हैं तो इतने पैसे हमें दें, नहीं तो हम डाटा लीक कर देंगे।
रैनसनवेयर के प्रकार
- रैनसमवेयर दो तरीके के होते हैं क्रिप्टो रैनसमवेयर और लाकर रैनसमवेयर।
- क्रिप्टो रैनसमवेयर सिस्टम में प्रवेश करते ही फाइलों को करप्ट कर देते हैं और पैसे मिलने तक इनक्रिप्शन की नहीं देते, जिससे फाइलें ठीक की जा सकती हैं।
- लाकर रैनसमवेयर सिस्टम में प्रवेश करने पर सिस्टम को लाक कर देते हैं, इससे उसमें लाग-इन नहीं हो पाता।
कैसे फैलता है रैनसमवेयर
- सिस्टम हैक करने के लिए हैकर एक लिंक भेजता है और उसपर बहाने से क्लिक करने के लिए बोलता है।
- इस पर क्लिक करते ही यूजर एक वेब पेज पर पहुंच जाता है, जहां उसे कोई एप या साफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है, जो वास्तव में रैनसमवेयर होता है
- जैसे ही यूजर इसे डाउनलोड करता है, उसके सिस्टम में रैनसमवेयर पहुंच जाता है।
- हैकर ई-मेल के जरिये भी अटैचमेंट के रूप में रैनसमवेयर भेजता है, जैसे ही यूजर इसपर क्लिक करता है, सिस्टम में इंस्टाल हो जाता है और सिस्टम को लाक कर देता है।