Delhi AIIMS: अस्पताल मनमर्जी से एम्स की इमरजेंसी में नहीं भेज सकेंगे मरीज; AIIMS निदेशक ने बुलाई बैठक
Delhi AIIMS इसका मकसद सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर समन्वय बनाकर एक रेफरल सिस्टम विकसित करना है ताकि कोई अस्पताल मनमर्जी से इमरजेंसी में मरीज न भेज पाए। इससे गंभीर मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों में भटकना नहीं पड़ेगा।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। एम्स में सर्जरी के लिए तो लंबी वेटिंग है हीं, इमरजेंसी में भी भीड़ के कारण गंभीर मरीजों को इलाज के लिए स्ट्रेचर पर पड़े घंटों इंतजार करना पड़ता है। लंबे समय से चली आ रही इस समस्या के निदान के लिए अब एम्स के निदेशक डा. एम श्रीनिवास ने पहल की है। उन्होंने मंगलवार को पत्र लिखकर 29 अक्टूबर को एम्स के मुख्य अस्पताल सहित दिल्ली के 13 सरकारी अस्पतालों के प्रमुखों को बैठक के लिए बुलाया है। इसमें केंद्र के अलावा दिल्ली सरकार के अस्पताल भी शामिल हैं।
सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर समन्वय बनाने की जरूरत
इसका मकसद सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर समन्वय बनाकर एक रेफरल सिस्टम विकसित करना है, ताकि कोई अस्पताल मनमर्जी से इमरजेंसी में मरीज न भेज पाए। इससे गंभीर मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों में भटकना नहीं पड़ेगा। एम्स निदेशक ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग को भी पत्र लिखकर इस प्रस्तावित बैठक की सूचना दी है। उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार से सिफारिश की है कि वे अपने अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों को बैठक में जरूर शामिल होने का निर्देश दें।
इमरजेंसी में रोजाना देखे जाते हैं 600 मरीज
एम्स द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि संस्थान की इमरजेंसी में प्रतिदिन 600 मरीज देखे जाते हैं। इसमें बेहद गंभीर मरीजों के अलावा ऐसे मरीज भी होते हैं जिनकी हालत गंभीर नहीं होती। एम्स में दूसरे अस्पतालों में से भी मरीज स्थानांतरित कर इलाज के लिए भेजे जाते हैं। इसका कारण संबंधित अस्पतालों में सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा नहीं होना और बेड खाली नहीं होना है। दिल्ली में सरकारी अस्पतालों के बीच स्थिर मरीजों को स्थानांतरित करने का कोई रेफरल सिस्टम नहीं है।
मरीज को आगे के इलाज के लिए वापस उसी अस्पताल में भेजने की तैयारी
इस वजह से जरूरतमंद मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में बेड के लिए चक्कर काटने को मजबूर होते हैं। मरीजों की सुरक्षा और उनकी बेहतरी के लिए सरकारी अस्पतालों के बीच स्थिर मरीजों के स्थानांतरण की व्यवस्था जरूरी है। बताया जा रहा है कि इस पहल के जरिये एम्स की इमरजेंसी में दूसरे अस्पतालों से स्थानांतरित करके पहुंचने वाले मरीजों की हालत स्थिर करने के बाद आगे के इलाज के लिए वापस उसी अस्पताल में भेजने की व्यवस्था बनाने की तैयारी है। ताकि एम्स की इमरजेंसी में मरीज को अधिक दिन भर्ती न रखना पड़े।
गंभीर मरीजों को एम्स की इमरजेंसी में बेड नहीं होगी दिक्कत
इससे गंभीर मरीजों को एम्स की इमरजेंसी में बेड मिलने में दिक्कत नहीं आएगी। इसलिए सफदरजंग, आरएमल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के दोनों अस्पतालों (सुचेता कृपलानी अस्पताल व कलावती सरन बाल चिकित्सालय), चरक पालिक और दिल्ली सरकार के नौ अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक बैठक में बुलाए गए हैं।
निजी व एनसीआर के सरकारी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक की होगी बैठक
जिसमें जीबी पंत, लोकनायक, डीडीयू अस्पताल, यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) शामिल हैं। एम्स की इमरजेंसी में निजी अस्पतालों और एनसीआर के सरकारी अस्पतालों से भी मरीज स्थानांतरित कर भेजे जाते हैं। बताया जा रहा है कि ऐसे में आने वाले समय में निजी अस्पतालों व एनसीआर के सरकारी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक भी बैठक के लिए बुलाए जा सकते हैं।
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