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    लिवर खराब होने का सबसे बड़ा कारण क्या? AIIMS के डॉक्टरों ने बताई ये वजह

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 09:27 AM (IST)

    वायरल हेपेटाइटिस में हेपेटाइटिस ए और ई को सामान्य पीलिया समझने की लापरवाही घातक हो सकती है। डॉक्टरों के अनुसार हेपेटाइटिस ए लिवर खराब होने का बड़ा कारण बन रहा है। दूषित भोजन और पानी से होने वाले इस संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छ खानपान जरूरी है। हेपेटाइटिस ए के टीकाकरण की भी आवश्यकता बताई गई है ताकि एक्यूट लिवर फेल्योर से बचा जा सके।

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    लिवर अचानक खराब होने का सबसे बड़ा कारण हेपेटाइटिस ए बन रहा है।

    रणविजय सिंह, नई दिल्ली। वायरल हेपेटाइटिस की बात होने पर अक्सर चर्चा हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी की होती है। यह दोनों बीमारियां घातक भी है लेकिन, हेपेटाइटिस ए व हेपेटाइटिस ई वायरस के संक्रमण को सामान्य पीलिया की बीमारी समझकर कई लोग गंभीरता से नहीं लेते। इस तरह की लापरवाही सेहत पर भारी पड़ सकती है।

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    एम्स, आइएलबीएस (यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान) व गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर बताते हैं कि अचानक लिवर खराब होने का सबसे बड़ा कारण अभी हेपेटाइटिस ए बन रहा है और यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो रही है।

    हाल ही में कोलकाता, चंडीगढ़, हैदराबाद और जयपुर के चार बड़े अस्पतालों द्वारा किए गए अध्ययन में भी यह बात सामने आई है। इस अध्ययन में डॉक्टरों ने हेपेटाइटिस ए के टीकाकरण की भी जरूरत बताई है। मौजूदा समय में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में हेपेटाइटिस बी शामिल है।

    वहीं, बाजार में हेपेटाइटिस ए का टीकाकरण मौजूद है लेकिन, यह टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है। हेपेटाइटिस ए का संक्रमण दूषित भोजन व दूषित पानी के कारण होता है। इसलिए डॉक्टरों का यह भी कहना है कि स्वच्छ खानपान से इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है।

    एम्स के गैस्ट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शालीमार ने बताया कि हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई दोनों दूषित खानपान क कारण होता है। इससे पीड़ित 90 प्रतिशत मरीज एक माह में ठीक हो जाते हैं। कुछ मरीजों में यह एक्यूट लिवर फेल्योर का कारण बनता है।

    पिछले कुछ समय से हेपेटाइटिस ए के कारण एक्यूट लिवर फेल्योर के मरीज अधिक देखे जा रहे हैं। इंडियन जर्नल आफ गैस्ट्रोलॉजी में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार एक्यूट लिवर फेल्योर से पीड़ित 44.26 प्रतिशत मरीजों में इस बीमारी का कारण हेपेटाइटिस ए का संक्रमण था।

    इसके अलावा साढ़े पांच प्रतिशत मरीजों में बीमारी का कारण हेपेटाइटिस ए के साथ-साथ कोई दूसरा संक्रमण होना था। 4.37 प्रतिशत मरीजों में बीमारी का कारण हेपेटाइटिस ई का संक्रमण था। 12 प्रतिशत मरीजों में एक्यूट लिवर फेल्योर का कारण शराब का सेवन था। लिवर खराब हो जाने पर प्रत्यारोपण ही कारगर इलाज होता है।

    आइएलबीएस के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डा. वी पामेजा ने बताया कि दूसरे देशों के अस्पतालों में लिवर प्रत्यारोपण के पांच प्रतिशत मामले एक्यूट लिवर फेल्योर के होते हैं। आइएलबीएस में यह आंकड़ा 10 से 15 प्रतिशत है। क्योंकि इमरजेंसी में दूसरे अस्पतालों से स्थानांतरित होकर एक्यूट लिवर फेल्योर के मरीज अधिक पहुंचते हैं। यह भी तब जब इस बीमारी से पीड़ित एक से डेढ़ प्रतिशत मरीजों का ही प्रत्यारोपण हो पाता है। लिवर प्रत्यारोपण के लिए डोनर नहीं मिल पाना और आर्थिक तंगी मरीजों के आड़े आती है।

    गंगाराम अस्पताल के सर्जिकल गैस्ट्रोइंटेरोलाजी के चेयरमैन डा. सौमित्र रावत ने ने भी बताया कि हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई के कारण एक्यूट लिवर फेल्योर के मरीज अधिक देखे जा रहे हैं। वहीं क्रोनिक लिवर फोल्योर के 75 प्रतिशत मामलों का कारण हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी व शराब का सेवन होता है।

    हेपेटाइटिस की रोकथाम अब भी बड़ी चुनौती

    एम्स गैस्ट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. शालीमार ने बताया कि वैश्विक हेपेटाइटिस की रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 2.9 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी से पीड़ित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2030 तक इस बीमारी के उन्मूलन के लिए इसके मामलों में 90 प्रतिशत की कमी लाने, 90 प्रतिशत टीकाकरण, माताओं से बच्चों में होने वाले हेपेटाइटिस बी के संक्रमण को 90 प्रतिशत कम करने और 80 प्रतिशत मरीजों का इलाज सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है।

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    वर्ष 2018 से राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रित कार्यक्रम चल रहा है। फिर भी डब्लएचओ द्वारा निर्धारित समय तक इस बीमारी का उन्मूलन बड़ी चुनौती है। डाक्टर बताते हैं कि सभी बच्चों को हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण और सभी ब्लड बैंकों में एनएटी (न्यूक्लिक एसिड टेस्ट) से ब्लड की स्क्रीनिंग सुनिश्चित कर काफी हद तक इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है।