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    Delhi AIIMS की नई पहल, लोगों को मिलेगी बड़ी राहत; पूरे देश में काम करेगा ये स्मार्ट कार्ड

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 06:00 AM (IST)

    दिल्ली एम्स की वन एम्स वन कार्ड योजना पूरे देश में लागू हो सकती है जिससे मरीज दिल्ली एम्स के स्मार्ट कार्ड से कहीं भी भुगतान कर सकेंगे। इससे कैशलेस भुगतान को बढ़ावा मिलेगा और मरीजों को सुविधा होगी। यह कार्ड यूएचआईडी और आभा नंबर से जुड़ा है जिससे ऑनलाइन टॉप-अप किया जा सकता है। एम्स प्रशासन इसे बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।

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    सभी एम्स में डिजिटल भुगतान के लिए एक स्मार्ट कार्ड लागू हो सकता है।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली एम्स द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड वन एम्स, वन कार्ड पहल के तहत देश भर के एम्स में भी लागू हो सकता है। इसके लिए तैयारी चल रही है। यह व्यवस्था लागू होने पर दिल्ली एम्स के एक ही स्मार्ट कार्ड से मरीज देश किसी भी एम्स में जांच और इलाज का शुल्क भुगतान कर सकेंगे।

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    इससे एम्स में इलाज कराने वाले मरीजों को सुविधा होगी। साथ ही कैशलेस भुगतान को बढ़ावा मिलेगा और मरीजों को इलाज का शुल्क भुगतान करने के लिए नकद राशि रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन अभी तक दिल्ली एम्स के ही सभी सेंटरों में इसका इस्तेमाल शुरू नहीं हो पाया है।

    दिल्ली एम्स ने एसीबीआइ के साथ मिलकर पिछले वर्ष फरवरी 2024 में स्मार्ट कार्ड जारी किया था।

    इसे मरीजों के लिए जारी करने से पहले दिसंबर 2023 में बाकायदा इसका ट्रायल किया गया। तब इसे एम्स के कैफेटेरिया में कर्मचारियों द्वारा इसका इस्तेमाल शुरू किया गया। इसके बाद मातृ एवं शिशु ब्लाक में मरीजों के इस्तेमाल के लिए जारी किया गया।

    इसके बाद चरणवद्ध तरीके से मुख्य अस्पताल सहित सभी सेंटर में इस्तेमाल शुरू किया जाना था। इसका मकसद शुल्क भुगतान में नकदी का चलन बंद कर पारदर्शिता व डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना था। एम्स की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 15 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।

    इसके अलावा प्रतिदिन 1000-1200 मरीज भर्ती किए जाते हैं। दिल्ली एम्स में पहुंचने वाले 40 प्रतिशत से ज्यादा मरीज दूसरे राज्यों के होते हैं। मरीजों को इलाज के लिए कई दिनों तक दिल्ली रुकना पड़ता है। इस वजह से बहुत मरीज अपने साथ नकद राशि लेकर पहुंचते हैं।

    एम्स के अनुसार, मरीजों द्वारा नकद राशि लेकर अस्पताल पहुंचने से सुरक्षा को लेकर समस्या रहती है। साथ ही नकद भुगतान में अनियमितता की भी आशंका रहती है। वैसे डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड व यूपीआइ से शुल्क भुगतान की सुविधा है। फिर भी बहुत मरीजों के परिजन नकद राशि के रूप में शुल्क भुगतान करते हैं। इसलिए एम्स ने स्मार्ट कार्ड जारी किया था।

    बताया गया कि यह स्मार्ट कार्ड अस्पताल द्वारा मरीज को दिए गए विशेष स्वास्थ्य पहचान नंबर (यूएचआइडी) व आभा (आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउंट) नंबर से जुड़ा होता है। मरीज इस स्मार्ट कार्ड में पैसा टाप अप कराकर सुरक्षित रख सकते हैं।

    इसे ऑनलाइन कहीं से भी टापअप किया जा सकता है। इसलिए दूर दराज के मरीज डेबिट कार्ड नहीं होने पर इमरजेंसी की स्थिति में कहीं से भी इस स्मार्ट कार्ड में पैसा मंगा सकते हैं। लेकिन यूपीआइ व डेबिट कार्ड से भुगतान की सुविधा होने से स्मार्ट कार्ड का खास इस्तेमाल नहीं बढ़ पाया। अब एम्स प्रशासन फिर से इसको बढ़ावा देने के प्रयास में जुटा है।

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    एम्स प्रशासन का कहना है कि ओपीडी व अन्य सेंटर में धीरे-धीरे मरीजों को यह कार्ड दिया जाएगा। ताकि मरीज इसका इस्तेमाल करें। वन एम्स वन कार्ड के तहत इसे सभी एम्स में लागू किया जाना है।

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