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    Delhi Politics: राहुल गांधी के साथ प्रदेश के नेताओं की बैठक के बाद अनिल चौधरी का हटना तय, चर्चा में ये दो नाम

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Thu, 17 Aug 2023 08:40 AM (IST)

    यूं तो अनिल चौधरी की मुखालफत लंबे समय से चल रही थी लेकिन नगर निगम चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद तो सभी के ‘सब्र’ का बांध टूट गया था। दि ...और पढ़ें

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    Delhi Politics: राहुल गांधी के साथ प्रदेश के नेताओं की बैठक के बाद अनिल चौधरी का हटना तय

    नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। बुधवार को दिन में चली तकरीबन तीन घंटे की बैठक के बाद राहुल गांधी ने देर शाम एक बार फिर दिल्ली के नेताओं संग बैठक की, लेकिन इस बार चुनिंदा नेता ही बुलाए गए। खास बात यह है कि दूसरी बैठक में हर नेता के साथ अलग-अलग चर्चा की गई।

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    शाम सात बजे से एआइसीसी में शुरू हुई इस बैठक में राहुल के साथ पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया भी थे। जिन नेताओं से अलग-अलग बैठक कर चर्चा की गई, उनमें पूर्व अध्यक्ष अजय माकन, सुभाष चोपड़ा, जयप्रकाश अग्रवाल और वरिष्ठ नेता मनीष चतरथ के नाम खासतौर पर शामिल रहे।

    इन दो नामों में किसी एक को मिलेगी जिम्मेदारी

    सूत्रों के मुताबिक इन नेताओं के साथ मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी की जगह नए अध्यक्ष के नाम पर चर्चा की गई। सभी ने अपनी राय से आलाकमान को अवगत करा दिया। कमोबेश सभी ने पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली या देवेंद्र यादव में से किसी एक को यह जिम्मेदारी देने की वकालत की। सूत्रों की माने तो इन्हीं दोनों में से किसी एक का नाम जल्द घोषित कर दिया जाएगा।

    कई नेताओं ने उनकी कार्यप्रणाली को लेकर जताई नाराजगी

    मालूम हो कि यूं तो अनिल चौधरी की मुखालफत लंबे समय से चल रही थी, लेकिन नगर निगम चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद तो सभी के ‘सब्र’ का बांध टूट गया था। दिन की बैठक में भी अनेक नेताओं ने उनकी कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी जताई।

    सूत्रों के मुताबिक देर शाम की वन टू वन चर्चा में पार्टी आलाकमान ने आप के साथ गठबंधन पर भी प्रदेश के नेताओं की राय जाननी चाही। इस पर सभी ने एकमत से साफ इन्कार कर दिया।

    बताया जा रहा है कि इस पहलू पर तो आलाकमान भी सहमत नजर आए कि कांग्रेस का ग्राफ अब बढ़ने लगा है। मतदाता लौटकर वापस आ रहा है जबकि आम आदमी पार्टी का ग्राफ खासतौर पर पिछले एक वर्ष में तेजी से गिरा है। इसलिए इस गठबंधन से बचने की कोशिश करनी चाहिए।