अटूट विश्वास और हौसले से मिली सफलता, बेटी को देखकर आंसू नहीं रोक पाए पिता
पिता की उम्मीद पहली बार उस वक्त जागी जब उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया और किरन को खोज निकालने की जिम्मेदारी सीबीआइ को सौंपी गई।
नई दिल्ली [निर्भय कुमार पाण्डेय]। पुल प्रहलादपुर थाना पुलिस की लापरवाही से पांच साल पहले गुम हुई मंदबुद्धि किरन के पिता राम प्रसाद ने पांच साल में कभी भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। दिल्ली महिला आयोग, जन शिकायत आयोग, प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, दिल्ली के मुख्यमंत्री और मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर बेटी के लिए गुहार लगा चुके रामप्रसाद को विश्वास था कि एक दिन उनकी बेटी जरूर वापस आएगी।
पिता की उम्मीद पहली बार उस वक्त जागी जब उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया और किरन को खोज निकालने की जिम्मेदारी सीबीआइ को सौंपी गई। अब बेटी के मिलने के बाद उनकी खुशियां दोगुनी हो गई हैं।
पुलिस ने नहीं की मदद
राम प्रसाद ने बताया कि बेटी के गुमशुदा होने के बाद जब वह पहली बार पुल प्रहलादपुर थाने पहुंचे तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से इन्कार किया। तभी उनकी नजर रोजनामचा पर पड़ी। जिस पर लिखा था कि एक पागल लड़की शिशु मंदिर सिलाई सेंटर से लाई गई थी जिसे भेज दिया गया। इस बारे में जब पिता ने पूछा तो पुलिस अधिकारियों ने उसे कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया और शिकायत ले कर घर जाने की सलाह दी।
पत्रों से बक्सा भर गया
किरन को खोज निकालने के लिए पिता ने कितने पत्र लिखे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बक्सा पत्रों से भर गया है। राम प्रसाद के दो बेटे और एक बेटी है। बेटी किरन व बेटा किशनचंद मंदबुद्धि हैं। किशन गांव में अपने भाई राजकुमार के साथ रहता है।
कहां गई होगी बिटिया
वर्ष 2015 में किरन की मां फूलकली की मौत हो गई। वह हमेशा राम प्रसाद से यही सवाल करती थी कि उसकी बिटिया आखिर कहां चली गई। और वह किस हालत में होगी। राम प्रसाद के पड़ोसी हों या आसपास के दुकानदार। हर कोई राम प्रसाद की हिम्मत और उम्मीद की दाद देता मिला। पूरी कॉलोनी में किरन के मिलने से खुशी का माहौल बना हुआ है। राम प्रसाद अब घर में अकेले हैं। इसे देखते हुए उन्होंने पड़ोस में एक जानकार को रख लिया है ताकि किरन पर नजर रखी जाए।
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