Indira Bhawan: विवादों में क्यों आया कांग्रेस का नया मुख्यालय, अकबर से कोटला रोड तक पार्टी ऑफिस का कैसा रहा सफर?
Congress headquarters Kotla Road कांग्रेस का मुख्यालय 47 साल बाद अकबर रोड से कोटला रोड पर शिफ्ट हो रहा है। 1978 में कांग्रेस को 24 अकबर रोड का बंगला आवंटित हुआ था तब उसमें आठ कमरे थे। समय के साथ इसके परिसर में वैध-अवैध निर्माण होता रहा। अब जाने कितने स्थायी-अस्थायी कमरे हैं। लेख के माध्यम से पढ़िए पूरा इतिहास।

अनंत विजय, नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने दिल्ली में नये पार्टी मुख्यालय का उद्घाटन किया। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी भी मौजूद रहे।
उद्घाटन के साथ ही कांग्रेस के नये मुख्यालय को लेकर विवाद हो गया। दरअसल इसका नाम 'इंदिरा भवन' से बदलकर 'सरदार मनमोहन सिंह भवन' करने की मांग हो रही है। पार्टी ऑफिस के बाहर इससे जुड़ा एक पोस्टर भी लगाया गया है।
जब ये तय हुआ कि सभी राजनीतिक दलों को उनके सांसदों की संख्या के आधार पर दिल्ली (delhi news) में पार्टी के मुख्यालय के लिए जमीन दी जाएगी तो कांग्रेस को पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग और कोटला रोड के कोने पर प्लांट संख्या 9 ए आवंटित किया गया। उसी समय कांग्रेस ने तय कर लिया था वो अपने कार्यालय के पते में पंडित दीनदयाल उपाध्याय रोड न लिखकर कोटला रोड लिखेगी।
संभव है कि कांग्रेस नेतृत्व ने सोचा होगा कि भारतीय जनता पार्टी (delhi bjp) की विचारधारा के प्रखर और शीर्ष नेता के नाम पर रखे मार्ग को अपने पते में न लिखा जाए। इस निर्णय के लभग डेढ दशक बाद कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय की इमारत तैयार हो चुकी है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार दिल्ली में पार्टी का मुख्यालय पांचवीं बार स्थानांतरित हो रहा है।
7 जंतर मंतर रोड पर चल रहा था कांग्रेस पार्टी का कार्यालय
स्वाधीनता के बाद से कांग्रेस पार्टी का कार्यालय 7 जंतर मंतर रोड पर चल रहा था। इस इमारत से कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने लंबे समय तक काम किया। पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) से लेकर उनके बाद के कई कांग्रेस अध्यक्ष वहां बैठा करते थे। 1969 में जब कांग्रेस पार्टी का विभाजन हुआ तो संगठन कांग्रेस ने इस इमारत को छोड़ने से इंकार कर दिया।
1971 में पार्टी ने यहां बनाया अपना स्थायी ठिकाना
इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने विंडसर प्लेस में अस्थायी कार्यालय बनाया। इंदिरा गांधी को 7 जंतर मंतर मंतर रोड कार्यालय के छूटने का दर्द लंबे समय तक सालता रहा था। 1971 में पार्टी ने अपना स्थायी ठिकाना डा राजेन्द्र प्रसाद रोड पर बनाया। सात वर्षों तक कांग्रेस ने इसी कार्यालय में पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां चलती रहीं। 1977 में संगठन कांग्रेस का विलय जनता पार्टी में हो गया।
इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव के बाद मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। इस बंगले को सरदार पटेल स्मारक संस्थान को अलाट कर दिया गया। जनता पार्टी का दफ्तर इसी इमारत में था। उस समय बताया गया था कि जनता पार्टी को सरदार पटेल स्मारक ट्रस्ट ने किराए पर जगह दी है। बाद में ये जगह विवादित होती चली गई। आज तो इस इमारत में कौन किराएदार है और कौन मालिक पता करना कठिन है।
जनता पार्टी के शासन काल के दौरान कांग्रेस पार्टी को अकबर रोड पर 24 नंबर की कोठी आवंटित कर दी गई। तब से लेकर अबतक कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय वहीं से कार्य कर रहा है। करीब 47 वर्षों के बाद इस महीने मुख्यालय कोटला रोड पर शिफ्ट होने वाला है। अकबर रोड के कार्यालय में कांग्रेस पार्टी ने काफी राजीनीतिक उतार चढ़ाव देखे।
कांग्रेस का नया हेडक्वार्टर, कोटला रोड, दिल्ली।
कई रोचक किस्से 24 अकबर रोड से जुड़े
इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी का प्रधानमंत्री बनना, नरसिंहराव का प्रधानमंत्री बनना, सोनिया गांधी का अध्यक्ष पद संभालना, नरसिंहराव के पार्थिव शरीर के लिए कांग्रेस कार्यालय का नहीं खुलना।
सोनिया की जगह मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को देश का प्रधानमंत्री बनना, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का पार्टी की कमान संभलना, लंबे समय बाद किसी गैर गांधी के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे का अध्यक्ष बनना जैसी महत्वपूर्ण राजनीतिक गठनाओं का गवाह अकबर रोड का बंगला बना।
1978 में जब कांग्रेस पार्टी को केंद्रीय कार्यालय के लिए 24 अकबर रोड का बंगला अलाट हुआ था तब उसमें आठ कमरे थे। समय के साथ इसके परिसर में वैध-अवैध निर्माण होता रहा। इस समय तो जाने कितने स्थायी- अस्थायी कमरे हैं। रशीद किदवई ने अपनी पुस्तक में कांग्रेस मुख्यालय परिसर में एक अस्थायी मंदिर की बात की है।
कांग्रेस का पुराना हेडक्वार्टर, अकबर रोड दिल्ली।
उनके मुताबिक कांग्रेस मुख्यालय में एक बड़ा पेड़ था। किसी समय कर्नाटक के एक व्यक्ति को जब पार्टी का टिकट मिला तो उसने पेड़ के नीचे एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया। 1999 में आए तूफान के कारण वो विशाल पेड़ गिर गया। उसके नीचे बना मंदिर भी ध्वस्त हो गया।
परिसर के उस मंदिर को लेकर भी रोचक जानकारी दी गई है कि जो भी टिकटार्थी आता था वो वहां सर नवाता था। टिकट मिलने पर फिर मंदिक पहुंच कर भगवान को धन्यवाद देता था। इस तरह के कई किस्से 24 अकबर रोड से जुड़े रहे हैं। अब जब वो परिसर खाली हो जाएगा तो ये किस्से, अगर विस्तार से लिखे नहीं गए, तो इतिहास में खो सकते हैं।
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