दिल्ली जल बोर्ड में 20 करोड़ के घोटाले का मामला, ACB ने दर्ज की FIR; एलजी ने दिए थे आदेश
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) में करीब 20 करोड़ के घोटाले की जांच के लिए एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने एफआइआर दर्ज कर ली है। एसीबी ने लोकसेवक यानी जल बोर्ड अधिकारियों व बैंक अधिकारियों के खिलाफ करोड़ों रुपये के गबन का मामला दर्ज किया है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में 20 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने शनिवार को एफआइआर दर्ज कर ली है। इस सिलसिले में 24 सितंबर को उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), एक बैंक और एक निजी कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ पानी के बिलों में 20 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।
वर्ष 2019 में सामने आया था मामला
यह मामला वर्ष 2019 में सामने आया था कि उपभोक्ताओं से पानी के बिल में 20 करोड़ रुपये जमा किए गए, जो डीजेबी के बैंक खाते में जमा नहीं किए गए। आरोपों के बावजूद बिलों के संग्रह में शामिल कंपनी का अनुबंध नहीं तोड़ा गया बल्कि अनुबंध बढ़ाया गया था।
एलजी ने मुख्य सचिव को डीजेबी और बैंक अधिकारियों की पहचान करने के साथ-साथ इसमें शामिल निजी संस्थाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। प्राथमिकी के अनुसार,उपभोक्ताओं से पानी के बिल के रूप में 20 करोड़ रुपये से अधिक पैसे जमा कराए गए, जो कई सालों तक डीजेबी यानी दिल्ली जल बोर्ड के बैंक खाते के बजाय एक निजी बैंक खाते में जमा किए गए।
डीजेबी ने अपने कार्पोरेशन बैंक को जून 2012 में आदेश के माध्यम से तीन साल के लिए पानी के बिल जमा करने के लिए नियुक्त किया था। बैंक के अनुबंध को 10 अक्टूबर, 2019 से आगे बढ़ाते समय यह देखा गया था कि जुलाई 2012 से 10 अक्टूबर, 2019 तक अनुबंध की अवधि के दौरान बैंक द्वारा नकदी जमा न करने और देरी से जमा करने के संबंध में गंभीर अनियमितताएं हुई थीं।
जल बोर्ड ने बैंक के अनुबंध को 2020 तक बढ़ाया
उपभोक्ताओं द्वारा जमा किए गए पानी के बिल, ब्याज, जुर्माना और ऐसी अन्य राशि सहित 20 करोड़ रुपये की राशि डीजेबी के बैंक खाते में स्थानांतरित नहीं की गई थी। यह सब जानने के बावजूद जल बोर्ड ने बैंक के अनुबंध को 2020 तक बढ़ा दिया।
बैंक के लिए निजी कंपनी फ्रेशपे आईटी साल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड संग्रह एजेंट के रूप में काम कर रही थी। जांच में पता चला है कि उपभोक्ताओं के बिल को डीजीबी के बैंक में न जमा कर आरम ईपेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के फेडरल बैंक खाते में जमा किया गया। बाद में रकम को आरटीजीएस के माध्यम से विभिन्न तिथियों पर एकत्र की गई राशि को स्थानांतरित कर दिया।
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