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    MCD Mayor Election में AAP ने क्यों डाले हथियार, पंजाब चुनाव से क्या है कनेक्शन?

    Updated: Mon, 21 Apr 2025 08:10 PM (IST)

    दिल्ली सरकार से सत्ता खोने के बाद आप ने महापौर चुनाव में भी हथियार डाल दिए हैं। हार के डर से प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार आप की रणनीति पंजाब चुनाव पर केंद्रित है क्योंकि निगम चुनाव में हार का असर वहां पड़ सकता है। आप का पतन केजरीवाल के जेल जाने के बाद शुरू हुआ था।

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    आम आदमी पार्टी ने एमसीडी मेयर चुनाव में उम्मीदवार न उतारने का किया फैसला।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में सत्ता से बेदखल होने के बाद आप के हाथ से नगर निगम की भी सत्ता चली गई है। हार के डर से महापौर के चुनाव में आप ने हथियार डाल दिए हैं। इस पद के लिए आप ने प्रत्याशी नहीं उतारने की घोषणा कर दी है। राजनीति के जानकार निगम में हथियार डालने के पीछे आप की रणनीति आगामी पंजाब चुनाव को भी मान रहे हैं।

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    उनकी मानें तो आप को आशंका है कि नगर निगम में महापाैर के चुनाव में हार से पंजाब विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ सकता है, यहां तक कि वहां की सत्ता भी हाथ से जा सकती है। पंजाब विधानसभा चुनाव 2027 में होने वाले हैं।

    केजरीवाल के जेल जाने के समय से आप का पतन शुरू

    राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद जो आम आदमी पार्टी केंद्र में केंद्र की सत्ता में आने के लिए सपने देख रही थी, मगर पहले कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन फिर मनीष सिसोदिया के भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने के बाद आप को बड़ा झटका लगा। इसके बाद ठीक एक साल पहले मार्च 2024 में दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेजे जाने के समय से ही आप का पतन शुरू हो गया था।

    जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल ने तमाम प्रयोग किए

    आबकारी घोटाले मामले में लगभग पांच महीने तक जेल में बंद रहने के बाद केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के बाद तमाम प्रयोग अपनाए थे, यहां तक कि यह कहते हुए मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था कि अगर जनता फिर से उनकी पार्टी को चुनाव जिताएगी तो ही वे मुख्यमंत्री बनेंगे। ईमानदार राजनीति करने का दावा करने वाले जमानत पर जेल से बाहर चल रहे सिसोदिया और केजरीवाल इन सब के बावजूद जनता में अपना विश्वास कायम नहीं कर सके।

    आप ने केंद्र से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता से उठाया

    हालांकि गत फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले से लेकर चुनाव के समय भी आप नेता इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि उन्हें दिल्ली में पूर्ण बहुमत मिल रहा है। आप ने विधानसभा चुनाव में केंद्र से संबंधित मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाया हर मामले में उन्होंने संदेश देने का प्रयास किया कि वह जनता के साथ खड़े हैं, शायद जनता उनसे से दूर हो चुकी थी।

    केजरीवाल के 22 विधायक ही चुनाव जीत सके

    यही कारण था कि केजरीवाल की एक नहीं चली और विधानसभा चुनाव में जो उनकी पार्टी पिछली बार 62 सीटें जीतकर सत्ता में लौटी थी वह पार्टी सत्ता से बेदखल हो गई और केजरीवाल के 22 विधायक ही चुनाव जीत सके। यहां तक कि जो केजरीवाल अपने नाम पर पार्टी के प्रत्याशियों को वाेट मिलने का दावा करते थे वही अपना चुनाव तक नहीं जीत सके। आप से बड़े नेताओं में सिसोदिया और जैन भी चुनाव हार गए।

    विधानसभा की हार ने केजरीवाल को तोड़ दिया

    सूत्रों का कहना है दिल्ली विधानसभा चुनाव की हार ने केजरीवाल को बुरी तरह तोड़ दिया है। दिल्ली हार के बाद से आप का अब पूरा ध्यान पंजाब पर लगा हुआ है। केजरीवाल पंजाब पर अपना समय दे रहे हैं, वहीं सिसोदिया और जैन को पंजाब का प्रभारी और सह प्रभारी नियुक्त कर दिया है। आप को डर है पंजाब हाथ से गया तो केजरीवाल की राजनीति पूरी तरह प्रभावित हो सकती है। दिल्ली नगर निगम में अब आप बहुमत में नही है।

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