दिल्ली चुनाव हारने के बाद AAP को लग रहे झटके, दिल्ली सरकार ने कई नेताओं को इन विभागों से हटाया
दिल्ली सरकार ने अपने कई निकायों और समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिसमें पिछली आप सरकार द्वारा नियुक्त किए गए उनके अध्यक्षों और सदस्यों को हटा दिया गया है। इनमें से कई सदस्य और अध्यक्ष आप विधायक या पार्टी से जुड़े लोग थे। इस कदम से आप सरकार को झटका लगा है। मनोनीत गैर-सरकारी पदाधिकारियों और सदस्यों का कार्यकाल हाल ही में समाप्त कर दिया गया।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली की भाजपा सरकार ने अपने कई निकायों और समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमें पिछली आप सरकार द्वारा नियुक्त किए गए उनके अध्यक्षों और सदस्यों को हटा दिया गया है। इन निकायों में सरकार के अधीन वैधानिक और गैर-वैधानिक निकाय, बोर्ड और शिक्षा के साथ-साथ हज और तीर्थयात्रा समितियां और दिल्ली जल बोर्ड आदि शामिल हैं।
AAP के समितियों का किया जा रहा नष्ट
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि इन समितियों के 16 मनोनीत गैर-सरकारी पदाधिकारियों और सदस्यों का कार्यकाल हाल ही में समाप्त कर दिया गया है।
सेवा विभाग ने एक आदेश जारी कर दिल्ली सरकार के सभी विभागों को इन समितियों के मौजूदा सदस्यों को हटाने और उनका पुनर्गठन करने को कहा है। इन समितियों के कई सदस्य और अध्यक्ष आप विधायक या पार्टी से जुड़े लोग थे। राजस्व विभाग के तहत आने वाली विभिन्न समितियों के गैर-सरकारी सदस्यों और अध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया गया है।
इनमें दिल्ली राज्य हज समिति के गैर-सरकारी सदस्य अब्दुल रहमान और हाजी युनूस (दोनों पूर्व आप विधायक), तीर्थयात्रा विकास समिति के अध्यक्ष कमल बंसल और उर्स समिति के अध्यक्ष एफ वाई इस्माइली शामिल हैं।
ये दो आप नेता किया बर्खास्त
इसी तरह, दिल्ली भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक सलाहकार समिति के गैर-सरकारी सदस्य करनैल सिंह और सोम दत्त को इस समिति से निकाल दिया गया है। दोनों वर्तमान में आप विधायक हैं।
बर्खास्त किए गए सदस्यों और अध्यक्षों में आप विधायक गोपाल राय भी शामिल हैं, जो दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। छह गैर-सरकारी सदस्यों को भी बर्खास्त किया गया है।
वृक्ष प्राधिकरण, दिल्ली जैव विविधता परिषद, दिल्ली ग्रामीण विकास बोर्ड, दिल्ली पशु कल्याण बोर्ड, शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम और दिल्ली जल बोर्ड समेत अन्य समितियों की मौजूदा सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है।
हिंदी, उर्दू, साहित्य कला परिषद, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, मैथिली और भोजपुरी समेत विभिन्न अकादमियों की मौजूदा सदस्यता भी समाप्त कर दी गई है।
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