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    Delhi News: 'शेख अली की गुमटी के आसपास से हटाएं अतिक्रमण', सुप्रीम कोर्ट का आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और एमसीडी को लोधी काल के तकरीबन छह सौ साल पुराने स्मारक शेख अली की गुमटी के आसपास के सभी अतिक्रमणों को हटाने का निर्देश दिया है। साथ ही स्मारक परिसर के अंदर स्थित इंजीनियरिंग विभाग के कार्यालय को भी खाली करने और दो सप्ताह के अंदर भूमि एवं विकास कार्यालय को सौंपने का निर्देश दिया है।

    By Agency Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Tue, 08 Apr 2025 10:28 PM (IST)
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    दिल्ली के 'शेख अली की गुमटी' से सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश। फाइल फोटो

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) को लोधी काल के तकरीबन छह सौ साल पुराने स्मारक 'शेख अली की गुमटी' के आसपास के सभी अतिक्रमणों को हटाने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने आरडब्लूए को स्मारक परिसर के अंदर स्थित इंजीनियरिंग विभाग के कार्यालय को भी खाली करने और दो सप्ताह के अंदर भूमि एवं विकास कार्यालय को सौंपने का निर्देश भी दिया।

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    शीर्ष अदालत ने संबंधित पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) और डीसीपी (यातायात) को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र की दैनिक निगरानी करने के लिए भी कहा। जस्टिस सुधांशु धुलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्ला की खंडपीठ ने पाया कि स्मारक पर 60 साल से ज्यादा के अनाधिकृत कब्जे के लिए उसने डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लूए) पर जो 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, उसका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।

    आरडब्लूए को 14 मई तक का दिया और समय 

    इसे जमा करने के लिए आरडब्लूए को 14 मई तक का और समय दिया। पहले सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को इस बारे में आदेश जारी करते हुए आवासीय संघ को यह मुआवजा देने के लिए कहा था। पीठ ने दिल्ली के पुरातत्व विभाग को स्मारक के जीर्णोद्धार के लिए एक समिति गठित करने और भूमि एवं विकास कार्यालय को स्थल का कब्जा शांतिपूर्ण तरीके से सौंपने का निर्देश दिया था।

    स्मारक पर 60 साल से ज्यादा वक्त से चले आ रहे कब्जे के बारे में जानने और इस मामले में एएसआई की निष्कि्रयता से नाराज होकर पीठ ने कहा था कि पुराने कब्जे को यह कहकर उचित नहीं ठहरा सकते कि असामाजिक तत्व इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।

    अदालत राजीव सूरी की याचिका पर कर रही थी सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट डिफेंस कॉलोनी के निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत संरचना को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए अदालत के निर्देश की मांग की गई थी।

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