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    दिल्ली हार के बाद बिखरने लगी AAP, जानिए वजह और सियासी समीकरण

    दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी (आप) में बिखराव शुरू हो गया है। असम प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनोवर और महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष मासूमा बेगम ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है। पार्टी समर्थकों के एक बड़े वर्ग में निराशा है और आने वाले दिनों में कुछ अन्य राज्यों में भी ऐसे संकेत देखने को मिल सकते हैं। आप का जन्म 2012 में हुआ था।

    By V K Shukla Edited By: Rajesh KumarUpdated: Sat, 05 Apr 2025 07:29 PM (IST)
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    दिल्ली हार के बाद बिखरने लगा आप का कुनबा।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार को अभी दो महीने भी नहीं हुए कि आप परिवार बिखरने लगा है। आप के असम प्रदेश अध्यक्ष और वहां की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष ने एक साथ इस्तीफा दे दिया है, जिसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दे रही है।

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    पार्टी समर्थकों के एक बड़े वर्ग में निराशा

    पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो दिल्ली चुनाव हारने के बाद पार्टी समर्थकों के एक बड़े वर्ग में निराशा है, ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में कुछ अन्य राज्यों में भी ऐसे संकेत देखने को मिल सकते हैं।

    अगर आम आदमी पार्टी की बात करें तो इसका जन्म 2011 में रामलीला मैदान में हुए अन्ना आंदोलन के समापन के बाद 2012 में हुआ था। पिछले 12 सालों में आम आदमी पार्टी ने कुछ उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन इस पार्टी के साथ विवाद ज्यादा जुड़े हैं।

    पारदर्शिता की बात हो रही खत्म 

    एक विवाद यह रहा है कि जिस उद्देश्य से इस पार्टी का गठन किया गया था वह इसके गठन के कुछ सालों में ही समाप्त हो गया और जिस पारदर्शिता की बात की गई थी वह भी कुछ सालों में ही खत्म हो गई।

    भ्रष्टाचार को खत्म करने का मुद्दा उठाकर सबसे पहले दिल्ली की सत्ता में आई आप भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई। अरविंद केजरीवाल, जिन्होंने कहा था कि सत्ता में आने के बाद वे सरकारी कार, बंगला और अन्य सुविधाएं नहीं लेंगे, शीशमहल विवाद में फंस गए।

    उन्होंने महंगी कारों का इस्तेमाल किया, बंगला और अन्य सुविधाएं लीं और जिस सरकारी बंगले में वे रहते थे उसे भी भारी भरकम रकम खर्च करके महल में बदल दिया गया और यहां तक ​​कि अनियमितताएं भी की गईं।

    वरिष्ठ AAP नेता गए जेल 

    दिल्ली में आप के कई विधायक कई मामलों में जेल गए तो वहीं पार्टी के शीर्ष नेता और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और एक समय दिल्ली के कैबिनेट मंत्री रहे सत्येंद्र जैन भी जेल गए।

    सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दो साल से अधिक समय तक जेल में रहे, मनीष सिसोदिया आबकारी घोटाले में 17 महीने जेल में रहे और इसी मामले में अरविंद केजरीवाल पांच महीने जेल में रहे, आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह चार महीने जेल में रहे।

    आप के एक अन्य नेता विजय नायर भी कई महीनों तक जेल में रहे। यही वो मुद्दा है जिसने दिल्ली में आप की संभावनाओं को खत्म कर दिया है। दिल्ली में दो बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई आप इस बार फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गई है और 62 सीटों से घटकर 22 सीटों पर आ गई है।

    इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि केजरीवाल के लिए अपनी पार्टी को एकजुट करना बड़ी चुनौती होगी।

    दिल्ली हार के बाद पार्टी को बड़ा नुकसान

    वैसे तो दिल्ली में हार के बाद आप को किसी अन्य राज्य में कोई बड़ा संगठनात्मक नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन असम के प्रदेश अध्यक्ष मनोज धनोवर और महिला विंग की अध्यक्ष मासूमा बेगम के अचानक इस्तीफे से दिल्ली की राजनीति में यह मुद्दा जरूर चर्चा में है।

    आम आदमी पार्टी के कई नेता इसे गंभीरता से ले रहे हैं। हालांकि, दिल्ली में भी कुछ समय पहले आम आदमी पार्टी ने संगठन में बड़ा बदलाव किया है जिसमें दिल्ली प्रदेश संयोजक और इस बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले बड़े नेताओं में से एक गोपाल राय को इस पद से हटा दिया गया है और उनकी जगह सौरभ भारद्वाज को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया है।

    कहा जा रहा है कि इसे लेकर पार्टी में असंतोष है। क्योंकि राय को हटाया जाना किसी के गले नहीं उतर रहा है। वहीं इस मामले में कई अन्य नामों को दरकिनार कर दिया गया है।

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