कंपनी के मालिक से ठगे 6.03 करोड़ रुपये, मास्टरमाइंड गिरफ्तार; सच्चाई जान दंग रह गए अफसर
दिल्ली में एक सिक्योरिटी गार्ड कंपनी के मालिक को शेयर ट्रेडिंग में मुनाफे का लालच देकर 6.03 करोड़ रुपये की ठगी हुई। क्राइम ब्रांच ने मास्टरमाइंड कृष्ण कुमार को गिरफ्तार किया। आरोपितों ने फेसबुक और टेलीग्राम के जरिए संपर्क किया था। पुलिस ने फर्जी नंबरों और खातों का पता लगाया और आरोपित को गिरफ्तार कर लिया आगे की जांच जारी है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। द्वारका, मिलकपुर के रहने वाले एक निजी सिक्योरिटी गार्ड कंपनी के मालिक को शेयर ट्रेडिंग में अत्यधिक मुनाफा देने का लालच देकर उनसे 6.03 करोड़ रुपये ठगी की गई।
वहीं, इस मामले में क्राइम ब्रांच ने मास्टरमाइंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग कृष्ण कुमार को गिरफ्तार किया है। एक युवती की प्रोफाइल से फेसबुक और टेलीग्राम के जरिए पीड़ित से संपर्क कर उन्हें शेयर ट्रेडिंग में अत्यधिक रिटर्न देने का वादा कर झांसे में लिया गया था।
बताया गया कि निवेश के लिए तैयार होने पर उनसे दिसंबर से मार्च के बीच 6.03 करोड़ रुपये निवेश करवा लिया गया। कृष्ण कुमार के खाते में ठगी गई रकम के 57 लाख रुपये आए थे।
वहीं, जांच में इस बारे में पता लग जाने पर पुलिस ने पहले उसे गिरफ्तार कर लिया। इससे पूछताछ कर पुलिस अब सिंडिकेट के अन्य सदस्यों की पहचान करने, इनके व्यापक नेटवर्क ध्वस्त करने, पैसों की बरामदगी के लिए उन्नत डिजिटल फोरेंसिक, डिवाइस क्लोनिंग और वित्तीय ट्रेल मैपिंग कर रही है।
डीसीपी आदित्य गौतम के मुताबिक कृष्ण कुमार, ग्रेटर नोएडा के कुलेसरा का रहने वाला है। वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक है और धोखाधड़ी माड्यूल का मुख्य संचालक है।
धोखाधड़ी गतिविधियों को अंजाम देने और लेनदेन को छिपाने के लिए उसने दो साइबर कैफे खोल रखे हैं। पुलिस अधिकारी के मुताबिक पीड़ित आजाद सिंह डागर की मिलकपुर में निजी सिक्योरिटी गार्ड एजेंसी है। वह लंबे समय से एजेंसी चलाते हैं। जालसाजों ने दिसंबर में फेसबुक के जरिए इनसे संपर्क कर उन्हें "प्लस 500 ग्लोबल सीएस" नामक टेलीग्राम चैनल से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। समूहों में जोड़ने के बाद पीड़ित को विश्वास में लेने के लिए नकली मुनाफे के स्क्रीनशाट, बनावटी ट्रेडिंग डैशबोर्ड और स्क्रिप्टेड चैट दिखाए गए।
इसके बाद पीड़ित पैसे निवेश करने के लिए राजी हो गए, उन्होंने किश्तों में सिंडिकेट द्वारा बताए गए खातों में पैसे भेजना शुरू कर दिया। दिसंबर से मार्च के बीच उन्होंने 6.03 करोड़ निवेश कर दिए। कुछ माह पैसों की जरूरत पड़ने पर जब उन्होंने कुछ पैसे निकालने प्रयास किया तो पीड़ित को ब्लाक कर दिया गया।
इसके बाद उन्होंने साइबर सेल में शिकायत दर्ज करा दी। एसीपी अनिल शर्मा व इंस्पेक्टर शिव राम के नेतृत्व में साइबर सेल की टीम ने जब कुछ नंबरों के काल डिटेल रिकॉर्ड, आइएमईआइ नंबर, खाता नंबरों आदि की जांच की तब पता चला कि धोखाधड़ी करने वालों ने पहचान छिपाने के लिए फर्जी वट्सएप नंबर और वर्चुअल फोन लाइनों का इस्तेमाल किया था।
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बताया गया कि पैसे कई खातों के जरिए भेजे गए, ताकि पता न चल पाए। जांच में 57 लाख रुपये एक मुखौटा कंपनी, "प्रियंका प्लेसमेंट एंड लोन सर्विसेज" के खाते में भेजने का पता चला, जो कृष्ण कुमार के नाम पर पंजीकृत थी। पुलिस ने ग्रेटर नोएडा के कुलेसरा में कृष्ण कुमार के घर का पता लगा उसे वहां से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि मार्च में जिस समय कृष्ण कुमार के खाते में पैसे मंगवाए गए। उस दौरान मुख्य आरोपित ने उसे तीन दिन तक नोएडा के एक होटल में कैद रखा था ताकि पैसे लेकर वह भाग न जाए। 10 प्रतिशत कमीशन देकर शेष पैसे दूसरे खाते में लेने के बाद उसे छोड़ दिया गया था।
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