ठगी के लिए बनाई 10 वेबसाइ़ट...क्रेडिट कार्ड के नाम पर करते थे कॉल, 500 लोगों को बनाया शिकार; करोड़ों हड़पे
Delhi Crime बाहरी दिल्ली में साइबर क्राइम थाना पुलिस ने एक बड़े क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह ने देशभर के करीब 500 लोगों को वाट्सएप ई-मेल और मैसेज पर फिशिंग लिंक भेजकर ठगा है। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से 11 मोबाइल फोन और एक लैपटॉप बरामद किया है। पुलिस की जांच में बड़ा खुलासा हुआ।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। Delhi Credit Card Fraud: एक प्रसिद्ध बैंक का क्रेडिट कार्ड बनवाने के नाम पर देशभर के करीब 500 लोगों को वाट्सएप, ई-मेल और मैसेज पर फिशिंग लिंक भेजकर ठगी करने वाले एक गिरोह के तीन सदस्यों को बाहरी-उत्तरी जिला साइबर क्राइम थाना पुलिस ने पकड़ा है। आरोपितों से पुलिस ने 11 मोबाइल फोन,एक लैपटॉप बरामद किए गए हैं।
जिनमें धोखाधड़ी वाले लेनदेन और फर्जी वेबसाइट से संबंधित डिजिटल साक्ष्य हैं। इस गिरोह के फरार सरगना को पकड़ने के लिए पुलिस उनके संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। बताया जा रहा है कि सरगना कंझावला थाने का घोषित बदमाश है।
जांच में पता चला कि सरगना के कहने पर आरोपितों ने एक कॉल सेंटर भी संचालित कर रहे थे। आरोपितों ने आईपी एड्रेस छिपाने के लिए रिमोट डेस्कटॉप प्रोटोकॉल (आरडीपी) का इस्तेमाल किया।
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पकड़े गए बदमाशों से वारदात में इस्तेमाल 11 मोबाइल फोन व एक लैपटॉप। सौजन्य दिल्ली पुलिस
आरोपितों में नौवीं पास से लेकर स्नातक तक शामिल
धोखाधड़ी वाली वेबसाइट बनाने के लिए होस्टिंग प्लेटफार्म खरीदे। उसने डक (डीएनएस) से एक उप-डोमेन हासिल किया और धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए एक पीएचपी आधारित पैनल वेबसाइट विकसित की। फिर वेबसाइट का इस्तेमाल पीड़ितों को धोखा देने के लिए किया गया।
पुलिस (Delhi Police) जांच में पता चला कि पकड़े गए आरोपित जयदीप स्नातक है, जिसने नोएडा सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड से जावा, एचटीएमएल, सीएसएस और रिएक्ट जेएस में विशेषज्ञता हासिल की है। वह गिट हब के माध्यम से पायथन सीख रहा था और प्रमाणित एथिकल हैकर (सीईएच) कोर्स भी कर रहा था।
जयदीप वेबसाइट बनाने, साइबर सुरक्षा और प्रोग्रामिंग में माहिर है, जिसका इस्तेमाल आरोपित ने धोखाधड़ी गतिविधियों में किया। आरोपित पहले भी इस तरह के घोटाले में शामिल रहा है। वहीं, अजय 9वीं कक्षा की पढ़ाई छोड़ चुका है।
बावजूद आरोपित डिजिटल धोखाधड़ी, विशेष रूप से क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी करने में माहिर है। तीसरा आरोपित राकेश राजाराम 12वीं पास है। जो लोगों को बरगला कर धोखा देने में सक्षम है। जिसे साइबर क्राइम एनआईटी थाना, फरीदाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर चुकी है।
लिंक पर क्लिक करते ही क्रेडिट कार्ड से निकले रुपये
बाहर-उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त निधिन वाल्सन (Delhi Police) ने बताया कि 11 फरवरी को एनसीआरपी पोर्टल के माध्यम से एक शिकायत मिली। पीड़ित हरिकेश कुमार यादव, एकता अपार्टमेंट, डीडीए फ्लैट, सिरसपुर ने बताया कि उनके साथ 21 हजार 400 रुपये की धोखाधड़ी हुई है।
Delhi News: क्रेडिट कार्ड बनवाने के नाम पर 500 लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी, तीन गिरफ्तार।#delhinews#DelhiPolice pic.twitter.com/5LfDqCLLcN
— Monu Kumar Jha (@MonuKumarJ20785) March 12, 2025
पीड़ित ने बताया कि आरोपितों ने आईसीआईसीआई क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए उनके पास एक फिशिंग लिंक भेजी। लिंक पर क्लिक करते ही उनके क्रेडिट कार्ड से रुपये निकल गए। इस मामले में एफआईआर दर्ज कर साइबर थाना एसएचओ इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह और एसीपी ऑपरेशन दिनेश कुमार और राजीव कुमार अंबस्ता, एडिशनल डीसीपी की देखरेख में एक टीम बनाई गई।
जांच के दौरान, संदिग्ध मोबाइल नंबर और बैंक खातों में पंजीकृत मोबाइल नंबरों की जानकारी प्राप्त की गई। मनी ट्रेल का पता लगाया गया। जांच के दौरान टीम ने रामा विहार,शिव विहार, कराला, गांव टटेसर सहित कई स्थानों पर छापेमारी की।
इस मामले में शामिल आरोपित व्यक्ति अजय, जयदीप और राकेश का पता लगाया गया। पकड़े गए आरोपितों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की। पर्याप्त सबूत के आधार पर आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।
बैंक प्रतिनिधि बनकर पीड़ितों को फंसाते थे जाल में
पुलिस जांच में पता चला कि आरोपी बैंक प्रतिनिधि बनकर पीड़ितों को नए क्रेडिट कार्ड देने की पेशकश कर वारदात को अंजाम देते थे। अनजान व्यक्तियों को बैंक अधिकारी बनकर एसएमएस या ईमेल के माध्यम से भेजे गए फिशिंग लिंक के माध्यम से एक फॉर्म भरकर क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए राजी करते।
पीड़ित की ओर से अपना व्यक्तिगत और बैंकिंग जानकारी भरते ही सीधे स्कैमर्स के लैपटॉप पर डेटा स्टोर हो जाता था। फिर वित्तीय लेनदेन के लिए ओटीपी को रोकने के लिए, पीड़ितों से आरोपित उनके मोबाइल में एक एप्लिकेशन डाउनलोड करवा देते थे। फिर इस एप से पीड़ितों के डिवाइस को क्लोन कर लेते थे। जिससे आरोपितों को पीड़ितों का एसएमएस और ओटीपी मिलने लगता था।
ठगी के लिए बनाए थे 10 वेबसाइट
जांच में पता चला कि जांच में पता चला कि आरोपित ने 10 से अधिक वेबसाइट बनाई थी। आरोपित अजय इस गिरोह के लिए सिम कार्ड मुहैया कराता था। जो कम पढ़े-लिखे लोगों से 300 से 500 रुपये प्रति सिम खरीद लेता था।
जांच में पता चला कि आरोपितों ने सैकड़ों सिम कार्ड का इस्तेमाल फिशिंग गतिविधियों में इस्तेमाल कर नष्ट कर दिया। इस गिरोह का मास्टरमाइंड फरार है, जो दिल्ली का ही रहने वाला है। जो पहले कई आपराधिक वारदातों में शामिल रहा है। अब साइबर अपराध करने लगा।

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