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    दिल्ली के 26 हजार फैक्ट्री मालिकों के लिए गुड न्यूज, लाइसेंस मामले में मिल सकती है राहत

    Updated: Thu, 05 Dec 2024 06:39 PM (IST)

    दिल्ली के बवाना में 26 हजार फैक्ट्री मालिकों को फैक्ट्री लाइसेंस के नवीनीकरण में आ रही दिक्कतों से जल्द ही राहत मिल सकती है। लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधिमंडल ने निगमायुक्त से मुलाकात कर उन्हें व्यवहारिक समस्याओं से अवगत कराया। निगमायुक्त ने उनकी समस्याओं को ध्यान से सुना और जल्द समाधान का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल ने फैक्ट्री लाइसेंस को वर्तमान परिस्थितियों में अतार्किक बताते हुए समाप्त करने की मांग की।

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    बवाना के फैक्ट्री मालिकों को राहत, निगमायुक्त ने जल्द समाधान का दिया आश्वासन। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Bawana Industrial Area: दिल्ली के बवाना के 26 हजार फैक्ट्री मालिकों को फैक्ट्री लाइसेंस के नवीनीकरण में आ रही दिक्कतों से राहत मिल सकती है। इस संबंध में लघु उद्योग भारती का प्रतिनिधिमंडल निगमायुक्त से मिला तथा व्यवहारिक दिक्कतों से अवगत कराया। प्रतिनिधिमंडल के अनुसार, आयुक्त ने उनकी समस्याओं को ध्यान से सुना है तथा समस्या के जल्द हल का आश्वासन दिया है।

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    इसी तरह उद्यमियों व औद्योगिक क्षेत्र संबंधित अन्य समस्याओं को लेकर भी उनकी सकारात्मक प्रतिक्रिया रही है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा कर रहे थे। मौके पर एमसीडी में विपक्ष के नेता सरदार राजा इकबाल सिंह और प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अनिल गुप्ता भी मौजूद रहे। लघु उद्योग भारती प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष दीवान चंद गुप्ता, महासचिव मुकेश कुमार और उपाध्यक्ष वरुण मित्तल शामिल रहे।

    दिल्ली के छोटे उद्यमियों को राहत देने की कोशिश 

    भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने निगमायुक्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के प्रति प्रतिबद्धता के तहत अतार्किक नियमों को समाप्त करने पर जोर दिया, जिससे दिल्ली के छोटे उद्यमियों को राहत मिल सके। प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली के लघु उद्यमी पिछले लंबे समय से फैक्ट्री लाइसेंस और संपत्तिकर मामले में एमसीडी की कार्यशैली से त्रस्त है।

    साथ ही फैक्ट्री लाइसेंस को वर्तमान परिस्थितियों में अतार्किक बताते हुए समाप्ति की मांग की। अन्यथा व्यवहारिक या कम करने की मांग की। निगमायुक्त को बताया कि बवाना में 26 हजार फैक्ट्रियां ऐसी हैं, जो रिलोकेशन योजना में गांवों से निकालकर इस औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2003 में बसाई गई थी। तबके मौजूदा मालिक के नाम पर ही फैक्ट्री लाइसेंस जारी किया जा रहा है। जबकि कई मालिकों का निधन हो गया है।

    लघु उद्योग भारती के महासचिव ने कही ये बात

    कई यहां से चले गए हैं। लघु उद्योग भारती के महासचिव मुकेश कुमार के अनुसार, निगमायुक्त ने उन लोगों की इस व्यवहारिक समस्या को ध्यान से सुना तथा जल्द निदान का आश्वासन दिया। इसी तरह एमसीडी द्वारा रखरखाव नहीं किए जा रहे औद्योगिक क्षेत्रों में एमसीडी के नियमों के अनुरूप छूट देने की मांग करते हुए किसी भी प्रकार के ऑडिट व असेसमेंट की सीमा अधिकतम तीन वर्ष करने के साथ समृद्धि स्कीम का लाभ लेने वाले उद्यमियों को भेजे गए नोटिसों पर तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की।

    कहा कि उद्योग क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सेवा क्षेत्र से व्यवसायिक दर पर संपत्तिकर लेने का विरोध करते हुए औद्योगिक दर पर लेने की मांग रखी। निगमायुक्त ने सभी मांगों पर सकारात्मक रुख दिखाते हुए शीघ्र समाधान का विश्वास दिलाया और लघु उद्योग भारती से सतत संवाद के माध्यम से दिल्ली के छोटे उद्यमियों की एमसीडी से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए आश्वस्त किया।

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