1984 Sikh Riots Case: 40 साल बाद अब कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर तय होंगे आरोप, इन धाराओं में लगे हैं आरोप
कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगों में तीन लोगों की हत्या के मामले में आरोप तय किए गए हैं। अदालत ने टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने के कारण यह आदेश दिया है। टाइटलर पर भीड़ को उकसाने और दंगों में शामिल होने का आरोप है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हिंसा भड़क उठी थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों में उत्तरी दिल्ली के पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या के मामले में 40 वर्ष बाद अदालत ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष सीबीआई न्यायाधीश राकेश सियाल ने कहा कि टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। अदालत ने आरोप तय करने के लिए 13 सितंबर की तारीख तय की है और टाइटलर को सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया है।
भीड़ को उकसाने का है आरोप
यदि टाइटलर अपने खिलाफ लगे आरोपों को स्वीकार नहीं करते और निर्दोष होने का दावा करते हैं, तो अदालत औपचारिक रूप से उनके खिलाफ आरोप तय कर मुकदमा चलाने का आदेश देगी।
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एक गवाह का हवाला देते हुए सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा था कि टाइटलर एक नवंबर, 1984 को गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने सफेद रंग की एंबेसडर कार से बाहर आए और सिखों को मार डालो, उन्होंने हमारी मां को मार डाला है, चिल्लाते हुए भीड़ को उकसाया।
इसके बाद भीड़ ने तीन सिखों की हत्या कर दी। एक अन्य गवाह के मुताबिक, उस समय सांसद रहे टाइटलर निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए गुरुद्वारे के सामने मौजूद थे। वहां जमा भीड़ पेट्रोल भरे कनस्तर, लाठियां, तलवारें और राड लिए हुई थी। पिछले साल अगस्त में एक सत्र अदालत ने टाइटलर को अग्रिम जमानत दी थी।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़की थी हिंसा
31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। कम से कम 3,000 लोग मारे गए।
कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे टाइटलर का नाम सिख विरोधी दंगों की जांच करने वाले नानावटी आयोग की रिपोर्ट में भी था। टाइटलर के खिलाफ यह मामला उन तीन मामलों में से एक था, जिसे पैनल ने 2005 में सीबीआई द्वारा फिर से खोलने की सिफारिश की थी।
इन धाराओं में हैं आरोप
80 वर्षीय टाइटलर के खिलाफ धारा 109 (उकसाना), धारा 143 (अवैध सभा), 147 (दंगा), 188 (लोक सेवक के विधिवत आदेश की अवज्ञा), 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 (पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना), 436 (घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाना या विस्फोटक पदार्थ द्वारा उत्पात), 451 (घर में अनाधिकार प्रवेश), 380 (घर में चोरी) और 302 (हत्या) के आरोप हैं। हालांकि, अदालत ने टाइटलर को धारा 148 (दंगा करना, घातक हथियार से लैस) के तहत अपराध से मुक्त कर दिया है।
टाइटलर ने आरोपों से किया है इनकार
टाइटलर कहते रहे हैं कि उनके खिलाफ एक भी सुबूत नहीं है। टाइटलर ने पिछले वर्ष अगस्त में सीबीआई की फोरेंसिक लैब में आवाज का नमूना देने के बाद बाहर निकलने पर कहा था, मैंने क्या किया है? मेरे खिलाफ सुबूत हैं तो फांसी लगाने को तैयार हूं। इस मामले का 1984 के दंगों के मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जिसके लिए वे मेरी आवाज का नमूना चाहते थे।
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