फ्रेंच भाषा की पुस्तक ढूंढकर राम मंदिर आंदोलन को मजबूती देने वाले मोहनधर नहीं रहे, 91 वर्ष की आयु में निधन
मोहनधर दीवान, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन को मजबूती देने के लिए फ्रेंच भाषा में छपी पुस्तक ढूंढी, का 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। विहिप के विश्व समन ...और पढ़ें

विहिप के विश्व समन्वय विभाग में विभिन्न दायित्वों पर रहे मोहनधर का 91 वर्ष की आयु में हुआ निधन।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मोहनधर दीवान ने राम मंदिर आंदोलन को न्यायिक प्रक्रिया में मजबूती देने के लिए लोधी रोड स्थित एक फ्रेंच लाइब्रेरी से वर्ष 1786 में फ्रेंच भाषा में छपी 600 पृष्ठ की पुस्तक 'हिस्ट्री एंड ज्योग्राफी आफ इंडिया' को ढूंढ निकाला था, बाद में इसी पुस्तक के साक्ष्य राम जन्मभूमि मुक्ति के संबंध में दिए गए वर्ष 2010 के उच्च न्यायालय और वर्ष 2019 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हिस्सा बने।
विहिप के विश्व समन्वय विभाग में विभिन्न पदों पर रहे मोहनधर दीवान ने मंगलवार को दक्षिणी दिल्ली स्थित नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में 91 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड श्मशान गृह में हुआ। वर्ष 1959 में बीएचयू से केमिकल इंजीनियरिंग की परीक्षा उर्तीण कर उन्होंने अनेक बड़ी-बड़ी कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर सेवा की।
उसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म, संस्कृति और श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए सौंप दिया। विहिप के विश्व समन्वय विभाग में महामंत्री और उपाध्यक्ष के तौर पर उन्होंने अनेक वर्षों तक काम किया। उसके बाद विहिप के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल ने उन्हें हिंदू -बौद्ध समन्वय की जिम्मेदारी दी। उनके प्रयासों से अशोक सिंघल का बौद्धधर्म गुरु दलाई लामा से मुलाकात संभव हो सकी।
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल बताते हैं कि उनके दादा ने भी पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के समय धन संग्रह करने में उनके साथ मिल कर योगदान दिया था।
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