सजा माफी और समय से पहले रिहाई पर दिल्ली HC सख्त, स्वतः संज्ञान लेकर सजा माफी नीति की समीक्षा की शुरू
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सजा माफी और समय से पहले रिहाई के मामलों में स्वतः संज्ञान लेते हुए सजा माफी नीति की समीक्षा शुरू कर दी है। अदालत इस मामले में ...और पढ़ें
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प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में दोषियों की सजा माफी और समय से पहले रिहाई से जुड़ी नीतियों के लागू होने की निगरानी और देखरेख के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने खुद ही कार्यवाही शुरू की।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इस मामले में अदालत की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल को न्याय मित्र नियुक्त किया। यह कार्यवाही 'इन री-पालिसी स्ट्रेटेजी फार ग्रांट ऑफ बेल' मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद शुरू की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को खुद ही एक याचिका दायर करने का निर्देश दिया था। इसके बाद संबंधित राज्यों की सजा माफी और समय से पहले रिहाई की नीतियों के लागू होने की निगरानी और देखरेख के लिए दो सदस्यीय पीठ का गठन किया जाएगा।
शीर्ष अदालत के आदेश के बाद पीठ ने बुधवार को कहा कि यह स्वतः संज्ञान याचिका दिल्ली में सजा माफी और समय से पहले रिहाई की नीतियों के लागू होने की निगरानी और देखरेख को शामिल करेगी।
पीठ ने दिल्ली सरकार को दोषियों की सजा माफी और समय से पहले रिहाई से संबंधित मौजूदा नीतियों के बारे में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में इस विषय पर जारी किए गए किसी भी सर्कुलर, नियम, विनियम या सरकारी आदेश को भी शामिल किया जाएगा।
अदालत ने कहा कि मामले पर दिल्ली सरकार के गृह मामलों के विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करना होगा। मामले पर अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी।
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