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    'मेरी मदद को कोई नहीं आया, मैं रो रही थी...', मेघालय की फ्लाइट अटेंडेंट दिल्ली में Racism का शिकार हुईं

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 11:24 PM (IST)

    मेघालय की फ्लाइट अटेंडेंट रितु मारक दिल्ली में नस्लवाद का शिकार हुईं। कमला नगर और मेट्रो में उन्हें 'चिंग चोंग' कहकर ताना मारा गया। रितु ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द साझा किया, जिसके बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। रितु ने नस्लवाद के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और लोगों को सुरक्षित रहने की सलाह दी। उनका कहना है कि नस्लवाद अपमानजनक है और इसे खत्म होना चाहिए।

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    मेघालय की फ्लाइट अटेंडेंट दिल्ली में Racism का शिकार हुईं।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मेघालय के गारो हिल्स की रहने वाली 27 वर्षीय फ्लाइट अटेंडेंट रितु मारक ने दिल्ली के कमला नगर में दो बार Racism का सामना किया। रितु ने इंस्टाग्राम में अपने वीडियो में बताया कि शाम करीब 9:30 बजे जब वह कमला नगर से घर लौट रही थीं, तो स्कूटर पर जा रहे युवकों के ग्रुप ने उन्हें ‘चिंग चोंग’ कहकर ताना मारा और हंस पड़े।

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    रितु ने बताया कि इस घटना के बाद जब वह मेट्रो में सफर कर रही थीं, तो एक और व्यक्ति ने ‘चिंग चोंग चाइना’ कहकर उनका अपमान किया, जिस पर लोग फिर से हंस पड़े। उन्होंने कहा कि एक घंटे के अंदर ऐसा दो बार हुआ। वह रो रही थीं, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। 

    एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक रितु पिछले दो महीने से दिल्ली में रह रही हैं, इससे पहले वे तीन साल तक बेंगलुरु में थीं, जहां उन्हें कभी ऐसा अनुभव नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु हमेशा घर जैसा लगा। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि राजधानी में ऐसा होगा।

    रितु ने अपना अनुभव सोशल मीडिया पर वीडियो के रूप में साझा किया, जो वायरल हो गया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी इस घटना पर ट्वीट कर कहा कि ऐसी भेदभाव की परंपरा बंद होनी चाहिए।

    रितु ने कहा कि मुझे अब समर्थन मिल रहा है। मैं किरेन रिजिजू सर की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरी आवाज उठाई। कई लोग मुझसे संपर्क कर रहे हैं कि वे भी इसी तरह की पीड़ा से गुजरे हैं।

    रितु के अनुसार, ऐसी नस्लवाद की वजह भारत की विविधता के प्रति गहरी अज्ञानता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को बच्चों को भारत की विविधता के बारे में सिखाना चाहिए कि हम अलग हैं लेकिन बराबर भी हैं।

    उन्होंने कहा कि उनके स्कूल की किताबों में एक तस्वीर थी, जिसमें अलग-अलग समुदाय के बच्चे हाथ पकड़कर खड़े थे। वही हमें सम्मान, सहानुभूति और एकता सिखाता है, जिसकी यहां कमी है।

    रितु ने समान अनुभवों से गुजर रहे लोगों को सलाह दी किअपनी सुरक्षा को पहले रखें। सही समय या जगह नहीं हो तो सामना न करें। सुरक्षित रहें, फिर आवाज उठाएं। चुप्पी का मतलब स्वीकार करना नहीं होता।

    रितु के मुताबिक यह घटना एक जख्म है, लेकिन एक मिशन भी। उनका कहना है कि उम्मीद है लोग समझेंगे कि हम सभी भारतीय हैं। नस्लवाद सिर्फ दुख देने वाला नहीं, बल्कि अपमानजनक है। अब इसे खत्म होना चाहिए।

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