एमसीडी का बड़ा कदम: दिल्ली में आवारा कुत्तों और गायों में लगेंगे माइक्रोचिप, 50 करोड़ का बजट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली एमसीडी आवारा कुत्तों और गायों की समस्या के समाधान के लिए अगले चार वर्षों में 50 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी। इसमें ...और पढ़ें

एमसीडी गायों और कुत्तों में लगाएगी माइक्रोचिप।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए एमसीडी अगले चार वर्षों में 50 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करेगी। इसमें आवारा कुत्तों को माइक्रोचिप लगाई जाएगी।
वहीं, पहली बार एमसीडी ने गौशालाओं में गाय छोड़ने से पहले भी माइक्रोचिप लगाने का निर्णय लिया है। ताकि चोर दरवाजे से गाय फिर से सड़कों पर न आ सके। इसके साथ ही एमसीडी अपना 1500 आवारा कुत्तों को रखने की क्षमता वाला पहले डॉग शेल्टर द्वारका के सेक्टर 29 में बनाने जा रही है। इसमें 6.50 करोड़ रुपये सालाना खर्च आने का अनुमान है।
स्थायी समिति की विशेष बैठक में चिकित्सा सहायता एवं जनस्वास्थ्य समिति के चेयरमैन मनीष चड्डा ने एमसीडी आयुक्त अश्वनी कुमार द्वारा पेश किए गए वर्ष 2025-26 के संशोधित बजट अनुमान और वर्ष 2026-27 के बजट अनुमान अपने बजट पेश किए। इस दौरान उन्होंने घोषणा की सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एमसीडी आवारा कुत्तों और पशुओं के लिए योजनागत तरीके से कार्य कर रही है।
इसमें आवारा कुत्तों के बंध्याकरण से लेकर खतरनाक कुत्तों को अलग स्थान पर रखने की योजना है। उन्होंने बताया कि एमसीडी द्वारका सेक्टर 29 में 1500 कुत्तों की क्षमता डाग शेल्टर बना रही है। जिसका कार्य अगामी वित्त वर्ष में हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 1500 कुत्तों को रखने पर एक साल में 6.50 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है।
साथ ही बंध्याकरण को पारदर्शी बनाने के लिए हम आवारा कुत्तों के शरीर में बंध्याकरण के दौरान माइक्रो चिप लगा देंगे। जिसमें कुत्ते के बंध्याकरण की पूरी जानकारी होगी। चार वर्ष तक यह विशेष योजना चलाई जाएगी। एक कुत्ते में माइक्रो चिप लगाने के लिए 300 रुपये का खर्च होगा।
ऐसे में चार वर्ष तक बंध्याकरण के दौरान कुत्तों के अंदर 48 करोड़ रुपये खर्च होंगे। चेयरमैन ने कहा कि कुत्तों के बंध्याकरण की रफ्तार को भी बढ़ाया जाएगा। इस वर्ष 1.20 लाख आवारा कुत्तों का बंध्याकरण करने की योजना है। बंध्याकरण बढ़ाने के लिए पांच बंध्याकरण केंद्रों पर पांच केंद्रों पर अतिरिक्त कैनल बनाई जाएगी। जबकि अन्य पांच केंद्रों पर कैनल बनाने का प्रस्ताव भी विचारधीन है।
चड्डा ने बताया कि गाय को सड़को से उठाकर हम गौशाला भेजते हैं। ऐसी शिकायतें आती है कि गाय को चोर दरवाजे से माफिया छुड़ा लेता है। ऐसे में हम पशुओं जैसे गाय को सड़कों से हटाने के बाद गौशाला में छोड़ने के दौरान माइक्रोचिप लगाई जाएगी। जिसमें गाय को कहां से उठाया, कब उठाया और कौन सी गौशाला में रखा गया यह सब जानकारी होगी।
ताकि गाय को फिर से गौशाला से छुड़ाकर सड़कों पर न छोड़ा जा सके। इसके साथ ही एमसीडी का मृत पशु कुत्ता, भेड़, बकरी, बंदर एवं सूअर के अंतिम संस्कार के लिए पीपीपी माडल पर सीएनजी आधारित शवदाह गृह बनाने का प्रस्ताव है। द्वारका सेक्टर 29 में एमसीडी ने दो वर्ष पहले यह शवदाह गृह शुरू किया था।
पार्षदों को विकास के लिए दो करोड़ रुपये: प्रीति
एमसीडी की निर्माण समिति की चेयरपर्सन प्रीति ने बजट प्रस्तावों में चर्चा में भाग लेते हुए मांग की है कि पार्षदों को विकास के लिए दो करोड़ रुपये की राशि दी जाए। उन्होंने इसके अतिरिक्त शौचालयों की मरम्मत के लिए अलग बजट हैड की व्यवस्था की जाए।
दिल्ली नगर निगम के अधिकांश सामुदायिक भवन इस स्थिति में है कि यदि उनम मरम्मत और रख-रखाव कर दी जाए तो इससे बुकिंग अधिक होने से निगम को पूरे वर्ष राजस्व की प्राप्ति हो सकती है। निगम के खाली पडे भू-खंडों में जगह-जगह पार्किंग की व्यवस्था की जाए जिससे अतिक्रमण की समस्या भी कम हो सके और निगम को राजस्व की प्राप्ति भी हो जाए।
वहीं, पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं समिति के अध्यक्ष संदीप कपूर ने प्रत्येक वार्ड में एक बुलडोजर और स्वीपिंग मशीन की व्यवस्था करने की मांग की। प्रत्येक वार्ड में दस अथिरिक्त सफाई कर्मी दिए जाए ताकि उनसे भी अचानक कही पर सफाई कराई जा सके। डलावघर और सार्वजनिक शौचालयों की देखरेख के लिए अलग बजट की व्यवस्था की जाए।
सफाई कर्मचारियों के बकाया राशि जारी करने के लिए फंड की व्यवस्था की जाए। निगम बंद किए गए डलावघरों को पुस्तकालय और अन्य वस्तुओं के लिए उपयोग करें। शिक्षा समिति के चेयरमैन योगश वर्मा ने एमसीडी के स्कूलों में खाली स्थानों पर राजस्व अर्जित करने के लिए एटीएम स्थापित करने का सुझाव दिया।
गांवों के उत्थान के लिए दिया जाए अलग फंड: योगेश
एमसीडी की ग्रामीण विकास समिति के चेयरपर्सन योगेश ने गांवों के विकास के लिए अलग फंड देने की मांग की है। ताकि गलियों का विकास किया जा सके। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग अलग नीति बनाकर डार्क स्पाट को भी खत्म किया जाए। साथ ही अतिरिक्त स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था हो। गांव में ग्राम सभा की जो जमीन डीडीए को हस्तांरित हो गई थी वह डीडीए से वापस लेकर स्वास्थ्य केंद्र व कांपेक्टर लगाने के लिए उपयोग की जाए।

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