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    बिना मंजूरी के चल रहा है एमसीडी का एडुलाइफ पोर्टल, शिक्षा समिति के डिप्टी चेयरमैन ने की जांच की मांग

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 12:12 AM (IST)

    एमसीडी का एडुलाइफ पोर्टल बिना मंजूरी के चल रहा है, जिससे संचालन में अनियमितताओं की आशंका है। शिक्षा समिति के डिप्टी चेयरमैन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की मांग की है, ताकि पोर्टल के संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम के शिक्षा विभाग में लगातार अनिमियतताओं के मामले सामने आ रहे हैं। पहले निजी स्कूलों की मान्यता को लेकर शिक्षा समिति के चेयरमैन ने जांच का मुद्दा उठाया था। अब शिक्षा समिति के डिप्टी चेयरमैन अमित खरखड़ी ने निगम स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए उपयोग होने वाले एडुलाइफ पोर्टल की जांच का मुद्दा उठाया है।

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    एमसीडी की 2023-24 की एमसीडी ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए डिप्टी चेयरमैन अमित खरखड़ी ने कहा कि एडुलाइफ पोर्टल एक निजी संस्था ने बनाया है। यह पोर्ट बिना किसी वैधानिक स्वीकृति और सक्षम प्राधिकारी की बिना स्वीकृति के चालाया जा रहा है। जो कि नियमो का उल्लंघन तो है ही साथ ही निगम के डेटा सुरक्षा मानकों के लिए गंभीर खतरा भी है।

    खरखड़ी ने कहा कि आडिट रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि इस पोर्टल पर शिक्षकों व कर्मचारियों का अत्यंत संवेदनशील डाटा जैसे आधार संख्या, बैंक विवरण, पहचान दस्तावेज निजी सर्वर पर अपलोड किया जा रहा है।

    इससे डाटा लीक और दुरुपयोग की आशंका बढ़ जाती है। अमित खरखड़ी ने कहा कि “सरकारी कर्मचारियों और विद्यार्थियों की व्यक्तिगत जानकारी निजी हाथों में नहीं जानी चाहिए। यह सरकारी गोपनीयता का उल्लंघन है और निगम की गरिमा पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।

    उन्होंने बताया कि फरवरी 2025 के सर्कुलर के अनुसार मिड-डे मिल का डाटा स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया था लेकिन कुछ दिन बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया। खरखड़ी ने सवाल किया कि जब दिल्ली सरकार का एडुडेल पोर्टल पहले से ही सुरक्षित और कार्यरत है, तो इसे रोककर निजी पोर्टल को बढ़ावा क्यों दिया गया?

    अमित खरखड़ी ने निगम आयुक्त से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण में विजिलेंस शाखा की निगरानी में जांच समिति गठित की जाए, जो यह जांच करे कि किन अधिकारियों ने सीधे या परोक्ष रूप से इस अनधिकृत पोर्टल को बढ़ावा दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि जांच रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए।

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