16 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी एमसीडी, पेशेवर कर और लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी पर विचार; बजट 5 दिसंबर को
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) 16 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी है। वित्तीय संकट से निपटने के लिए एमसीडी पेशेवर कर और लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी पर विचार कर रही है। राजस्व बढ़ाने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एमसीडी 5 दिसंबर को अपना बजट पेश करेगी। निगम खर्चों में कटौती और संपत्तिकर संग्रह में सुधार जैसे अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही है।

एमसीडी की इमारत। (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पूर्वकालिक तीनों निगमों के एकीकरण के बाद पहली बार एमसीडी का बजट स्थायी समिति में पांच दिसंबर को स्थायी समिति में पेश होगा। निगमायुक्त अश्वनी कुमार स्थायी समिति की चेयरपर्सन सत्या शर्मा की मौजदूगी में बजट को पेश करेंगे। एमसीडी के सभी विभाग बजट को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। निगम की खराब आर्थिक हालात और 16 हजार करोड़ रुपए की कर्जदारी है। ऐसे में इसको कम करने के लिए एमसीडी आयुक्त को विशेष परियोजना भी प्रस्तुत कर सकते हैं।
2400 रुपये तक का कर लगाने का प्रस्ताव
वहीं, फिलहाल अधिकारी बजट में उच्च अधिकारियों के निर्देश पर शिक्षा और सफाई को केंद्रित करते हुए बजट को तैयार करने में जुटे हैं। सूत्रों के मुताबिक संपत्तिकर में पेशेवर कर जोड़ने से लेकर कुछ स्थिति में संपत्तिकर की दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव आ सकता है। इसी तरह अन्य लाइसेंस की दरों में भी बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव आ सकते हैं। पेशेवर कर आयकर के हिसाब से लगाया जाता है। पूर्व में पांच लाख रुपये से अधिक आय वाले नागरिकों पर सालाना 1200 रुपये से लेकर 2400 रुपये तक का कर लगाने का प्रस्ताव आया है।
जनप्रतिनिधियों द्वारा खारिज कर दिया
उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी निगमों द्वार नागरिकों की आय के हिसाब से संपत्तिकर के साथ पेशेवर कर लेने के प्रस्ताव पूर्वकालिक निगमों में आए हैं लेकिन इन्हें चुने हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा खारिज कर दिया गया है। ऐसे में यह अभी तक लागू नहीं हो पाया है। वित्त वर्ष 2025-26 में अश्वनी कुमार ने 16000 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। इसमें सर्वाधिक खर्च सफाई और स्वास्थ्य पर किया गया था।
स्थायी समिति में पहली बार बजट पेश होगा
दरअसल, यह बजट इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एमसीडी के एकीकरण के बाद स्थायी समिति में पहली बार बजट पेश होगा। निगम के एकीकरण के बाद पहली बार बजट केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त तत्कालीन विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार ने ही मंजूर किया था।
इसके बाद आप की सरकार आने के बाद स्थायी समिति का गठन खटाई में पड़ा तो निगमायुक्त ज्ञानेश भारती और फिर अश्वनी कुमार ने सदन में बजट को पेश किया। एमसीडी एक्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष वित्त वर्ष संशोधित बजट अनुमान और बजट अनुमान 10 दिसंबर तक स्थायी समिति में पेश करने का प्रविधान है।
31 मार्च से पहले पूरी करनी होती है बजट प्रक्रिया
एमसीडी आयुक्त द्वारा 10 दिसंबर तक बजट स्थायी समिति में पेश करने का प्रविधान है। इसके बाद स्थायी समिति बजट पर चर्चा करती है। इसी दौरान निगम की वार्ड समितियां और तदर्थ और विशेष समितियां अपना अपना बजट पेश करती हैं।
इस चर्चा को अंतिम रूप स्थायी समिति में दिया जाता है। स्थायी समिति अध्यक्ष इस बजट को निगम सदन में पेश करेगी। फिर सदन में इसमें चर्चा होगी।
चर्चा के उपरांत नेता सदन इस बजट को अंतिम रूप देते हैं। नियमानुसार 15 फरवरी तक टैक्स की दरें अधिसूचित करना होता है। जबकि बजट की प्रक्रिया को 31 मार्च तक बजट को पूरा करना होता है।
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