महमूद मदनी फिर बने जमीयत के अध्यक्ष, PM मोदी और गृह मंत्री की बात को राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक बताया
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति ने मौलाना महमूद मदनी को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना। यह उनका दूसरा कार्यकाल होगा। बैठक में प्रदेश इकाइयों के चुनावों की समीक्षा की गई और दिल्ली, तेलंगाना, असम में चुनाव कराने के निर्देश दिए गए। मुसलमानों पर जनसांख्यिकी बदलने के आरोपों को राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक बताया गया।

जमीयत की कार्यकारी समिति की बैठक में सर्वसम्मति से हुआ चयन, तीन वर्ष का होगा कार्यकाल।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति की बैठक में जमीयत अध्यक्ष पद के लिए मौलाना महमूद मदनी का सर्वसम्मति से चयन हुआ। यह लगातार उनका दूसरा कार्यकाल होगा।
अध्यक्ष पद का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। महमूद मदनी वर्ष 2021 से जमीयत के एक गुट के अध्यक्ष हैं।दूसरा गुट मौलाना अरशद मदनी का है। आईटीओ स्थित जमीयत के मुख्यालय में हुई बैठक में चुनाव बोर्डों की देखरेख में होने वाले जमीयत की सभी प्रदेश इकाइयों के चुनावों का विवरण प्रस्तुत किया गया, जिसे मंजूरी दे दी गई।
कार्यकारी समिति में दिल्ली, तेलंगाना और असम में निर्धारित अवधि में प्रादेशिक चुनाव पूरा न हो पाने पर भी विचार किया और बोर्डों को तीन माह में चुनाव पूरा कर लेने का निर्देश दिया गया।
इसके साथ ही नए कार्यकाल के लिए केंद्रीय अध्यक्ष पद की घोषणा की गई। जमीयत के संविधान के अनुच्छेद 52 के अनुसार, नए कार्यकाल के अध्यक्ष पद के लिए मौलाना महमूद असद मदनी के नाम की सर्वसम्मति से घोषणा की गई। मौलाना महमूद मदनी का कार्यकाल वर्ष 2024 से 2027 होगा। पिछले वर्ष निर्धारित चुनाव नहीं हो पाया था।
बैठक में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री द्वारा मुसलमानों पर जनसांख्यिकी बदलने और घुसपैठ के आरोपों को राष्ट्रीय एकता, सामाजिक सद्भाव और संवैधानिक समानता के लिए हानिकारक बताया गया।
कार्यकारी समिति ने अपने प्रस्ताव में आगे कहा कि केंद्र सरकार ने कई बार सुप्रीम कोर्ट और संसद में लिखित रूप से कहा है कि उसके पास अवैध घुसपैठियों की कोई प्रामाणिक संख्या मौजूद नहीं है, इसलिए यह आरोप झूठ पर आधारित हैं।

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