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    सजा निलंबित फिर भी जेल में क्यों रहेगा कुलदीप सिंह सेंगर? दिल्ली HC के आदेश के बाद भी अधूरी रह गई रिहाई

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 03:00 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्नाव गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित कर दी है। हालांकि, वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे क ...और पढ़ें

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उन्नाव गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत तो मिली, लेकिन उन्हें इसका फायदा नहीं होगा।

    अदालत ने उनकी उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए जमानत मंजूर कर दी है। हालांकि, इस फैसले के बावजूद कुलदीप सिंह सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, और उनकी रिहाई अधूरी ही रह गई है।

    जमानत मिली, फिर भी जेल में क्यों रहेंगे सेंगर?

    कानूनी जानकारों के अनुसार, कुलदीप सेंगर के खिलाफ दो प्रमुख मामले चल रहे हैं:

    1. उन्नाव गैंगरेप मामला:- जिसमें उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी।

    2. पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत:- इस मामले में उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई है।

    दिल्ली हाईकोर्ट का नया आदेश केवल पहले मामले यानी उन्नाव गैंगरेप से जुड़ा है। चूंकि दूसरे मामले में उनकी सजा कायम है, उसे निलंंबित नहीं किया है और न ही जमानत मिली है, इसलिए सेंगर को अभी भी तिहाड़ जेल में ही रहना होगा।

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    जमानत की शर्तें

    जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने सेंगर को जमानत देते समय कई सख्त शर्तें लगाईं:

    • 15 लाख रुपये का निजी मुचलका और तीन स्थानीय जमानती पेश करने होंगे।

    • पीड़िता के घर से 5 किलोमीटर के दायरे में जाने पर प्रतिबंध।

    • हर सोमवार सुबह स्थानीय पुलिस स्टेशन में हाजिरी दर्ज करानी होगी।

    • पासपोर्ट कोर्ट में जमा रहेगा, बिना अनुमति दिल्ली या देश नहीं छोड़ सकेंगे।

    पीड़िता के परिवार का गुस्सा और सुप्रीम कोर्ट की तैयारी

    हाई कोर्ट के फैसले ने रेप पीड़िता और उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। पीड़िता ने कहा कि मैं न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट जाऊंगी। मुझे उम्मीद है वहां न्याय मिलेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि गवाहों और परिवार की सुरक्षा कम कर दी गई और गवाहों को जेल में प्रताड़ित किया गया।

    कोर्ट का तर्क

    दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की सजा निलंबित करते समय यह तर्क दिया कि वह पहले ही लगभग 7 साल 5 महीने जेल में काट चुका है। कोर्ट ने कहा कि अपील लंबित रहने के दौरान किसी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा) का उल्लंघन हो सकता है।

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