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    IRCTC घोटाला: राबड़ी देवी की स्थानांतरण याचिका पर सीबीआई का कड़ा विरोध, 15 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 05:23 AM (IST)

    आईआरसीटीसी होटल घोटाले में राबड़ी देवी की केस ट्रांसफर याचिका का सीबीआई ने कड़ा विरोध किया है। सीबीआई ने दिल्ली में राबड़ी देवी की याचिका का विरोध करत ...और पढ़ें

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     बिहार की पूर्व बिहार मुख्यमंत्री राबड़ी देवी। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में आइआरसीटीसी होटल घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने बिहार की पूर्व बिहार मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की स्थानांतरण की मांग याचिका का कड़ा विरोध किया।

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    प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश भट्ट ने सीबीआइ की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख 15 दिसंबर तय की है।

    दूसरी अदालत में भेजने की मांग

    राबड़ी ने याचिका में विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत से अपने खिलाफ चल रहे मामलों को दूसरी अदालत में भेजने की मांग की है। सीबीआइ ने दलील दी कि यह अर्जी न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने और न्यायाधीश की छवि खराब करने के इरादे से दाखिल की गई है और यह स्पष्ट रूप से फोरम शापिंग (कानूनी मामले में सबसे अनुकूल परिणाम पाने की उम्मीद में जानबूझकर एक खास अदालत चुनना) का मामला है।

    सीबीआइ की तर्क दिया कि राबड़ी देवी अदालत पर दबाव बनाना चाहती हैं, क्योंकि कार्यवाही उनके मनमुताबिक नहीं चल रही है। सीबीआइ ने दलील दी कि कोई भी आरोपित अपनी पसंद की अदालत नहीं चुन सकता और न ही किसी न्यायाधीश पर सवाल खड़े कर सकता है।

    सीबीआइ ने दलील दी कि विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने अब तक सभी कार्यवाही तय कानूनी प्रक्रिया के अनुसार ही की है। केवल स्पष्टीकरण मांगना न्यायाधीश का अधिकार और कर्तव्य होता है, इसे पक्षपात नहीं कहा जा सकता।

    राबड़ी देवी की ओर से लगाए गए इस आरोप को भी सीबीआइ ने खारिज किया कि आइआरसीटीसी मामले में आरोप तय करने का आदेश जानबूझकर बिहार चुनाव के समय टाला गया। जांच एजेंसी ने कहा कि अदालत ने सिर्फ मामले को ठीक से समझने के लिए कुछ सवाल पूछे थे, जो पूरी तरह सामान्य प्रक्रिया है।

    मामले में देरी करना मकसद

    सीबीआइ ने यह भी कहा कि राबड़ी देवी की स्थानांतरण अर्जी का असली मकसद मामले में देरी करना है। कानून के अनुसार आरोप तय करने पर बहस सीमित समय में पूरी होनी चाहिए, लेकिन इस मामले में पहले ही काफी समय बीत चुका है।

    सीबीआइ ने दो टूक कहा कि मुकदमे के दौरान किसी आरोपित को होने वाली असुविधा मामले को दूसरी अदालत में भेजने का आधार नहीं हो सकती। ऐसी अर्जी से अदालत की गरिमा को नुकसान पहुंचता है और न्याय की राह में रुकावट आती है।

    राबड़ी देवी ने चार मामलों को विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत से हटाने की मांग की है। इनमें आइआरसीटीसी घोटाला मामला, जमीन के बदले नौकरी का मामला और उनसे जुड़े अन्य मामले शामिल हैं। इन सभी मामलों में राबड़ी देवी के साथ उनके परिवार के अन्य सदस्य भी आरोपित हैं।

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