Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इंटरनेशनल ट्रेड फेयर 2025: लुभा रहीं महिलाओं के संघर्ष की प्रेरक कहानियां; हुनर, हौसला और नए भारत का हो रहा दर्शन

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 08:24 PM (IST)

    अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2025 में महिलाओं के संघर्ष की प्रेरणादायक कहानियां लोगों को आकर्षित कर रही हैं। यह मेला कौशल, साहस और नए भारत के दर्शन को प्रस्तुत करता है। यह आयोजन महिला सशक्तिकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है।

    Hero Image

    भारत मंडपम में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के खादी पवेलियन में प्राकृतिक उत्पाद के बारें में जानकारी लेते लोग। जागरण

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। 44वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में देशी-विदेशी उत्पाद और हुनर ही नहीं बल्कि संघर्ष एवं सफलता की कहानियां भी दर्शकों को खासा आकर्षित कर रहे हैं। यहां एक-दो नहीं बल्कि अनेक ऐसी महिलाओं ने भी स्टाॅल लगाए हैं, जिनकी मेहनत और कला के प्रति समर्पण मन में कामयाबी का नया जज्बा पैदा करता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंगलसूत्र गिरवी रख शुरू किया कारोबार

    सरस मंडप में कोल्हापुरी चप्पलों का एक स्टाॅल है। इसकी संचालक हैं सीमा रविराज कांबले। आठ साल पहले उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी। घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा था। तब सीमा ने अपने मंगलसूत्र को गिरवी रखकर जो छोटा सा व्यवसाय शुरू किया, वह उनकी मेहनत से आज फलफूल रहा है।

    सीमा कोल्हापुरी चप्पल बनाती हैं और खुद ही उसे बेचती भी हैं। उन्होंने व्यवसाय की शुरुआत शून्य से की थी, लेकिन आज वह अपने परिवार को संपन्न जीवन दे रही हैं।

    आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद अब उन्होंने अपनी बेटी की शादी, जो दो दिसंबर को है उसके लिए 10 लाख रुपए भी जुटा लिए हैं। वह कहती हैं, कभी सोचा न था कि एक दिन अपने परिवार को आर्थिक सपोर्ट कर पाएंगी।

    bharat-madpam

    कर्ज लेकर शुरू किया मिथिला पेंटिंग बनाना 

    बिहार के मधुबनी जिले के जितवारपुर गांव की रहने वाली संगीता देवी ने भी सरस आजीविका मेले में स्टाॅल लगाया है। उनकी जिंदगी कभी सिर्फ रसोई और घर संभालने तक सीमित थी। 2013 में उन्होंने जीविका से जुड़ने का फैसला किया, तभी उनकी जिंदगी ने एक नई करवट ली।

    संगीता ने बताया, उन्हें सिर्फ 15 हजार रुपए का कर्ज मिला। रकम छोटी थी लेकिन इरादा बड़ा। उन्होंने मिथिला पेंटिंग का काम शुरू किया। शुरुआत में उन्हें खुद पर भरोसा नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे मेहनत रंग लाने लगी। कहती हैं, मैंने घूंघट हटाया, अपनी बहनों को भी समझाया कि मैं क्या करती हूं। फिर एक-एक करके सबने मुझे आगे बढ़ाया।

    कुछ ही वर्षों में संगीता देवी का काम इतना बढ़ गया कि आज उनकी बनाई पेंटिंग्स की खूब मांग है और लोग उनकी कला की तारीफ करते नहीं थकते। गर्व से कहती हैं, "मैं लखपति दीदी बन गई हूं।" लखपति दीदी योजना ने उनके हुनर को पहचान दिलाई और उन्हें देशभर में ले गई। वह हैदराबाद, बेंगलुरु, राजस्थान, दिल्ली, पटना, ओडिशा जैसे कई शहरों में वे अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं।

    सबको भा रहा केमिकल रहित प्राकृतिक उत्पाद

    खादी मंडप में उवर्रता वेलनेस नाम की एक छोटी सी स्टाॅल पर दिल्ली की दो युवतियां केमिकल रहित प्राकृतिक उत्पाद प्रदर्शित कर रही हैं। यहां पर ऐसा नमक उपलब्ध है, जो गर्म पानी में मिलाकर उसमें पैर भिगोने से कुछ ही मिनटों में थकान मिट जाती है। देसी घी से बनाया लिप बाम सूखे और फटे होठों को प्राकृतिक रूप से ठीक कर मुलायम बनाता है। स्टाॅल संचालिका युवा यशप्रीत कौर ने बताया कि उनके पास घर में ही बनाए हुए ऐसे असरकारी उत्पाद हैं, जो हमारे शरीर का दर्द दूर करते हैं और त्वचा को बेहतर बनाते हैं।

    Tirupati-Balaji

    22 कैरेट गोल्ड फ्वॉयल की पेंटिंग

    बिहार मंडप में 2.64 लाख की 22 कैरेट गोल्ड फायल की तिरुपति बालाजी की पेंटिंग, एक लाख का चांदी का मछली एवं छठमैया को अर्घ देती जूट की डाल आकर्षण का केंद्र है। सबसे अधिक चर्चा कृष्णा देवी के स्टाॅल पर 22 कैरेट गोल्ड फायल की पेंटिंग की है। पेंटिंग में सेमी-प्रेशियस स्टोन का इस्तेमाल किया गया है। खास बात यह कि वह इस कला को आगे बढ़ाते हुए 15 महिलाओं और 20 पुरुषों को प्रशिक्षण भी दे रही हैं।

    jharkhand

    झारखंड: तसर उद्योग को महिलाओं ने बनाया सफल

    झारखंड का तसर उद्योग आज एक स्पष्ट विजन के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य में आज 100 कोकून संरक्षण केंद्र एवं 40 पूर्ण-सुविधायुक्त परियोजना केंद्र संचालित हो रहे हैं।

    2001 में 90 मीट्रिक टन कच्चे रेशम का उत्पादन बढ़कर 2024–25 में 1,363 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जिसने झारखंड को देश की तसर राजधानी के रूप में स्थापित कर दिया है।

    इस अभूतपूर्व सफलता के केंद्र में भी वहां की महिलाएं ही हैं। तसर उत्पादन के 50–60 प्रतिशत कार्यों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी है। महिलाओं की इस बढ़ती भूमिका को और मजबूती देने के लिए उद्योग विभाग और रेशम निदेशालय द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।

    झारक्राफ्ट, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी और अन्य संस्थाओं के सहयोग से महिलाओं को प्रशिक्षण, रोजगार और बाजार तक पहुंच उपलब्ध कराई जा रही है।

    यह भी पढ़ें- आम जनता के लिए खोला गया अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को मिलेगा फ्री प्रवेश