भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक, रीसाइकिलिंग से निकलेंगे गोल्ड- कॉपर- प्लेटिनम जैसे कीमती धातु
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश है। यहाँ इलेक्ट्रॉनिक कचरे की मात्रा तेज़ी से बढ़ रही है। इस कचरे को रीसाइकिल करके सोना, तांबा और प्लेटिनम जैसी कीमती धातुएँ प्राप्त की जा सकती हैं। इस प्रक्रिया से पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी होगा, क्योंकि पुनर्चक्रित धातुओं का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जा सकेगा।

44वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में केंद्रीय खान मंत्रालय के मंडप में मॉडल के जरिये बताया जा रहा ई कचरे की भयावहता के बारे में। जागरण
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। भारत मंडपम में चल रहे 44वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में खरीदारी, मनोरंजन और भ्रमण के साथ साथ जन समस्याओं पर उपयोगी ज्ञान भी मिल रहा है। इसी कड़ी में केंद्रीय खान मंत्रालय के मंडप पर भी बहुत कुछ जानने को मिलता है। यहां बता जा रहा है कि इलेक्ट्राॅनिक खपत ने भारत को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई कचरा उत्पादन करने वाला देश बना दिया है। यहां हर साल 3230 किलो टन ई-कचरा उत्पन्न होता है, जबकि इसका एक प्रतिशत ही रीसाइकिल हो पा रहा है। इसीलिए इस मंडप में ई कचरे पर जनजागरण किया जा रहा है।
ई-वेस्ट निपटान की संस्कृति विकसित करें
खान मंत्रालय ने नागपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू एल्युमिनियम रिसर्च डेवलपमेंट एंड डिजाइन सेंटर को सर्कुलर इकोनाॅमी बढ़ाने का नोडल एजेंसी नियुक्त किया है। व्यापार मेले में इसी उद्देश्य के साथ संस्था ने व्यापक और प्रभावशाली अभियान पेश किया है, जिसका मकसद जिम्मेदार ई-वेस्ट निपटान की संस्कृति विकसित करना है।
ई-कचरा समस्या नहीं, संसाधन
भारत में हर साल लाखों टन ई-कचरा उत्पन्न होता है। गलत तरीके से फेंका गया यह कचरा पानी को जहरीला करता है, हवा को दूषित करता है और मिट्टी में भारी धातुएं छोड़ता है। यह समस्या सिर्फ प्रदूषण तक सीमित नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा बनती जा रही है।
अधिकृत स्तर पर रीसाइकिल होने का है लाभ
ई-कचरा अगर अधिकृत तौर पर रीसाइकिल हो तो इसमें से काॅपर, गोल्ड, प्लेटिनम, नायोबियम, एल्युमिनियम जैसे अनेक कीमती धातु-खनिज भी निकल सकते हैं। यह धातुएं भारत के इलेक्ट्राॅनिक्स, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्रों के लिए बहुत जरूरी हैं। यही कारण है कि ई-कचरा को कबाड़ी वाले को देने के बजाय अधिकृत रिसाइक्लर को देना समय की मांग है।
लाइव ई-वेस्ट कलेक्शन माॅडल दिखाया
व्यापार मेले में खान मंत्रालय के मंडप पर मेला दर्शकों को न केवल ई-कचरे की वास्तविक स्थिति समझाई जा रही है, बल्कि यह भी बताया जा रहा है कि गलत निपटान कैसे पूरे पर्यावरण चक्र को प्रभावित करता है। इस मेले में पहली बार लाइव ई-वेस्ट कलेक्शन माॅडल दिखाया गया है, जिसमें बताया गया है कि कचरे से धातुएं कैसे निकाली जाती हैं, गलत तरीके से हैंडलिंग का क्या नुकसान है और आम नागरिक क्या कदम उठाकर समाधान का हिस्सा बन सकते हैं।
अधिकृत सिस्टम में भेजा जा रहा
खान मंत्रालय ने कुछ समय पहले देशव्यापी ई-वेस्ट कलेक्शन ड्राइव शुरू की थी, जिसमें सरकारी विभागों और कंपनियों में अलग कलेक्शन प्वाइंट लगाए गए. जहां लोग बड़ी संख्या में अपना ई-कचरा जमा कर रहे हैं। इसे अधिकृत सिस्टम में भेजा जा रहा है।
सर्वाधिक ई कचरा उत्पन्न करने वाले दुनिया के शीर्ष 10 देश
| देश | ई कचरा (किलो टन में) | रीसाइकिलिंग दर (% में) |
चीन | 10,129 | 19 |
| अमेरिका | 6,918 | 15 |
| भारत | 3,230 | 1 |
| जापान | 2,569 | 22 |
| ब्राजील | 2,143 | 0 |
| रूस | 1,631 | 6 |
| इंडोनेशिया | 1,618 | - |
| जर्मनी | 1,607 | 52 |
| यूके | 1,558 | 57 |
| फ्रांस | 1,362 | 56 |
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