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    iFOREST ने पेश की देश की पहली ESG रिपोर्ट; इस्पात उद्योगों से हो रहा प्रदूषण घटाने के लिए बनाया एकीकृत ढांचा

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 10:41 AM (IST)

    आईफॉरेस्ट ने इस्पात क्षेत्र के प्रदूषण को कम करने के लिए ईएसजी रिपोर्ट और जीएचजी लेखा ढांचा जारी किया है। इस्पात उद्योग, जो देश का सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक है, 2030 तक उत्सर्जन दोगुना कर सकता है। नई रिपोर्टिंग से उत्सर्जन के आंकड़ों में पारदर्शिता आएगी और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इस पहल से इस्पात उद्योग में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

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    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। देश के इस्पात क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण और ऊर्जा खपत को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पर्यावरण संस्था iFOREST ने भारत की पहली इस्पात क्षेत्र आधारित ESG (पर्यावरण, सामाजिक और संचालन) प्रदर्शन रिपोर्ट, तथा एकीकृत ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) लेखा व सत्यापन ढांचा जारी किया है। संस्था ने इस क्षेत्र के लिए BRSR (व्यवसाय दायित्व और सततता रिपोर्ट) परिशिष्ट भी पेश किया है, जिससे रिपोर्टिंग अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बन सके।

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    भारत में प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत बनता इस्पात क्षेत्र

    आयरन और स्टील उद्योग देश में सबसे तेज़ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाला क्षेत्र बन चुका है। कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में इसका योगदान लगभग 12 प्रतिशत है, और 2030 तक इसके दोगुना होने की संभावना जताई जा रही है।

    भारत का इस्पात उत्पादन 2023 में 140 मिलियन टन था, जो 2030 तक 255 मिलियन टन और 2050 तक 500 मिलियन टन पहुंच सकता है। ऐसे में कम-कार्बन तकनीक अपनाना देश के आर्थिक लक्ष्यों और नेट-जीरो मिशन के लिए अनिवार्य है।

    कार्यक्रम में जारी हुईं तीन बड़ी रिपोर्ट

    नई दिल्ली में इंडियन स्टील एसोसिएशन के सहयोग से आयोजित 'ग्रीन स्टील ट्रांजिशन' कार्यक्रम के दौरान iFOREST ने तीन महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी किए हैं।

    • इस्पात क्षेत्र की ईएसजी प्रदर्शन रिपोर्ट (2023–24)
    • ईएसजी रिपोर्टिंग को मजबूत करने के लिए बीआरएसआर परिशिष्ट
    • एकीकृत जीएचजी लेखा और मापन-सत्यापन ढांचा

    विश्वसनीय रिपोर्टिंग से ही मिलेगा जलवायु के लिए फंड: iFOREST

    iFOREST के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्र भूषण ने कहा कि भारत को अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता की जरूरत होगी। इसके लिए विश्वसनीय, तुलनात्मक और सत्यापित रिपोर्टिंग सबसे महत्वपूर्ण है।

    उन्होंने कहा कि इस्पात क्षेत्र के लिए बनाया गया नया ढांचा उत्सर्जन से जुड़े आंकड़ों को अधिक भरोसेमंद बनाएगा और निवेशकों का विश्वास बढ़ाएगा।

    रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

    • 31 कंपनियां, 93 मिलियन टन उत्पादन
    • बीआरएसआर रिपोर्ट करने वाली 31 कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023–24 में 93 मिलियन टन इस्पात का उत्पादन किया, जो देश के कुल कच्चे इस्पात उत्पादन का 65 प्रतिशत है।
    • इन कंपनियों का कुल राजस्व 10.81 लाख करोड़ रुपये रहा और इनके पास 5.42 लाख से अधिक कर्मचारी हैं।

    ऊर्जा खपत और उत्सर्जन औसत से अधिक

    • ऊर्जा का औसत उपयोग 23.2 गीगाजूल प्रति टन है, जो वैश्विक औसत से अधिक है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग कुल ऊर्जा में 0.5 प्रतिशत से भी कम है।
    • इस्पात क्षेत्र ने वर्ष 2023–24 में 221 मिलियन टन कार्बन-समतुल्य उत्सर्जन किया।
    • उत्सर्जन तीव्रता 2.54 टन प्रति टन इस्पात रही, जबकि वैश्विक औसत 1.92 टन है।

    जल और अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति

    • आधा जल उपयोग उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
    • 93 प्रतिशत इस्पात अपशिष्ट का पुनर्चक्रण किया जा रहा है, लेकिन स्लैग जैसे बड़े अपशिष्ट की रिपोर्टिंग स्पष्ट नहीं है।
    • वायु प्रदूषण से जुड़े आंकड़ों में असंगति पाई गई है।

    सामाजिक और प्रशासनिक सूचकांक

    • कार्यबल में 95 प्रतिशत पुरुष और 56 प्रतिशत कर्मचारी अनुबंध पर हैं।
    • बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी 18 प्रतिशत और वरिष्ठ पदों पर केवल 7 प्रतिशत है।
    • केवल 16 कंपनियों ने भ्रष्टाचार-निरोधक व्यवस्था लागू की है।

    ईएसजी रिपोर्टिंग में सुधार की आवश्यकता

    • अध्ययन में पाया गया कि बड़ी कंपनियों की रिपोर्टिंग बेहतर है, जबकि छोटी कंपनियां सीमित और अलग-अलग तरीकों का उपयोग कर रही हैं।
    • iFOREST के निदेशक संजयव कंचन ने कहा कि संसाधन और उत्सर्जन-गहन क्षेत्रों में क्षेत्र-विशिष्ट रिपोर्टिंग ढांचे अत्यंत जरूरी हैं, ताकि जानकारी तुलना योग्य और विश्वसनीय हो सके।

    देश का पहला एकीकृत जीएचजी लेखा उपकरण

    इस्पात कंपनियों द्वारा अब तक अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय पद्धतियों से उत्सर्जन रिपोर्टिंग की जाती रही है, जिससे आंकड़े मिलाना मुश्किल होता था।

    iFOREST ने भारत-विशेष एक एक्सेल आधारित उत्सर्जन लेखा और सत्यापन उपकरण तैयार किया है, जिसे ये काम किए जा सकेंगे।

    • प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी उत्सर्जन (स्कोप 1, 2 और 3) को दर्ज करेगा
    • भारत के उत्सर्जन कारकों का उपयोग करेगा
    • मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और खनन गतिविधियों से होने वाले उत्सर्जन को शामिल करेगा
    • यह उपकरण छोटे, मध्यम और बड़े सभी प्रकार के इस्पात उद्योगों के लिए उपयोगी होगा और देश में हरित इस्पात की दिशा में परिवर्तन को गति देगा।

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