नेवले के बालों वाले ब्रश रखने के मामले में राहत, हाईकोर्ट ने 12 साल पुरानी आपराधिक शिकायत की रद
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नेवले के बालों से बने ब्रश रखने के एक मामले में राहत देते हुए 12 साल पुरानी आपराधिक शिकायत रद्द कर दी है। न्यायमूर्ति सुभाष विद्य ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लक्ष्मी नगर स्थित बाल भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रबंधन के तत्कालीन इंचार्ज दीपेश गुप्ता के खिलाफ 12 साल पहले वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज किए गए मामले को दिल्ली हाई कोर्ट ने रद कर दिया। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि याची पर लगाए गए आरोपों के संबंध में एक भी गवाह या दस्तावेज नहीं पेश किया जा सके, जिसके आधार पर उन्हें स्कूल द्वारा की गई लापरवाही के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सके।
धारा- 58 के अनिवार्य प्रविधान का उल्लंघन
अदालत ने कहा कि मामले में की गई शिकायत में यह भी साफ नहीं होता कि याचिकाकर्ता स्कूल के प्रशासन, प्रबंधन, खर्च और सामान की खरीद के मामलों के लिए जिम्मेदार थे। उक्त तथ्यों को देखते हुए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा-420 सहित अन्य संबंधी शिकायत को रद किया जाता है।
याचिकाकर्ता दीपेश गुप्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सुमित वर्मा ने तर्क दिया था कि आपराधिक शिकायत स्कूल या उसकी सोसाइटी के बजाय स्कूल के इंचार्ज के खिलाफ दायर की गई थी, जोकि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा- 58 के अनिवार्य प्रविधान का उल्लंघन है।
दावा- अधिसूचना से पहले स्कूल ने खरीदा
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि याची पर स्कूल की बायो लैब में सात नेवले के बालों के ब्रश रखने के लिए मुकदमा चलाया गया था, जबकि उक्त ब्रश को नेवले को प्रतिबंधित प्रजाति घोषित करने संबंधी 30 सितंबर 2002 की अधिसूचना से पहले स्कूल ने खरीदा था।
इतना ही नहीं मामले से जुड़ी पूरी जांच के साथ-साथ कोर्ट में दायर शिकायत भी एक वन्यजीव इंस्पेक्टर द्वारा की गई थी, जो ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं था। उक्त तथ्यों को देखते हुए अदालत ने 2014 से एडिशनल चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित मामले को रद कर दिया।
जुलाई 2013 में मिली थी शिकायत
याचिका के अनुसार 24 जुलाई 2013 में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने शकरपुर थाने को सूचना दी कि बाल भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बायोलाॅजी लैब में वन्यजीव के नमूने मौजूद हैं। सूचना पर टीम ने छापेमारी की और लैब से सात नेवले के बालों के ब्रश बरामद किए थे।
इसकी जांच के लिए इसे देहरादून स्थित वन्यजीव संस्थान भेजा गया था। वन्यजीव संस्थान ने नेवले के बाल के ब्रश होने की पुष्टि की थी। इस मामले की फाइल अगस्त 2013 में ट्रायल कोर्ट में पेश की गई थी। पूरे मामले में अकेले आरोपित बनाए गए दीपेश गुप्ता ने मामले में हुई प्राथमिकी व शिकायत रद करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

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