'अध्यक्ष के बिना नहीं चल सकता राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग...', खाली चल रहे पदों पर दिल्ली HC की अहम टिप्पणी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष के बिना कार्य नहीं कर सकता। अदालत ने केंद्र सरकार को तत्काल अध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया, यह टिप्पणी एक जनहित याचिका पर की गई जिसमें आयोग के कामकाज पर सवाल उठाए गए थे। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अध्यक्ष के अभाव में आयोग अपने दायित्वों का निर्वहन करने में असमर्थ है। अदालत ने आयोग के प्रभावी कामकाज के लिए अध्यक्ष पद को महत्वपूर्ण बताया।

अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों के खाली पदों से जुड़ी याचिका पर अदालत ने की टिप्पणी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के पद कई महीनों से खाली होने से जुड़ी याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि आयोग बिना अध्यक्ष के नहीं चल सकता है।
मुजाहिद नफीस द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार का रुख पूछते हुए मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सरकार से कहा कि अगली सुनवाई की तारीख का इंतजार न करें और सुनिश्चित करें कि काम शुरू हो। यह बहुत-बहुत महत्वपूर्ण है।
वकील दीक्षा द्विवेदी के माध्यम से दायर याचिका में मुजाहिद नफीस ने कहा कि अप्रैल माह से महत्वूर्ण पद खाली हैं और केंद्र सरकार को एनसीएम के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का निर्देश देने की मांग की। नफीस ने तर्क दिया कि शीर्ष पदों को भरने में सरकार की विफलता ने इस वैधानिक निकाय को पूरी तरह से निष्क्रिय बना दिया है।
याचिका में कहा गया कि आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पांच सदस्यों सहित सभी सात पद 12 अप्रैल से रिक्त हैं, जब पूर्व अध्यक्ष एस इकबाल सिंह लालपुरा ने अपना कार्यकाल पूरा किया था। याचिका में कहा गया कि इस चिंताजनक स्थिति को माननीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने राज्यसभा में औपचारिक रूप से स्वीकार किया है।
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