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    मंजूरी के बाद भी हरित पटाखा व्यापारियों की उम्मीदें अगले साल पर टिकीं, इस दीपावली पर कारोबार की गुंजाइश नहीं

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 08:09 PM (IST)

    हरित पटाखे बेचने की अनुमति मिलने के बाद भी, व्यापारियों को इस दिवाली व्यापार की उम्मीद नहीं है। उत्पादन सीमित होने और मंजूरी में देरी के कारण, पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं होगा। अब उनकी आशाएं अगले साल पर टिकी हैं, जब वे बेहतर तैयारी के साथ कारोबार कर सकेंगे।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। दीपावली आने में अब 10 दिन से भी कम का वक्त बचा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से हरित पटाखों की बिक्री के पक्ष में आदेश आ भी जाए तो रोशनी के पर्व के उपलक्ष्य में उसके बिक्री की उम्मीद न के बराबर है। इसका कारण है पटाखों के लिए लाइसेंस प्रक्रिया, थोक खरीद, भंडारण की प्रक्रिया करीब सात माह पूर्व मार्च से ही शुरू हो जाती है। ऐसे में पटाखा बिक्री से जुड़े लोगों के अनुसार, वह इस वर्ष बिक्री के बारे में सोच भी नहीं रहे हैं। इस बार बिक्री महज औपचारिकता होगी, लेकिन मंजूरी मिलने का बड़ा असर अगले वर्ष दीपावली पर होगा। जब वह लोग पटाखों की बिक्री के लिए मार्च से सामान्य प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे। 10 अक्टूबर को मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। जिसके दीपावली से पूर्व आने की उम्मीद है।

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    ध्वनि प्रदूषण पर जता रहे चिंता

    इस बीच पटाखों की बिक्री की मंजूरी से वायु व ध्वनि प्रदूषण को लेकर कुछ संगठनों द्वारा चिंता भी जताई जाने लगी है। मगर मामले के जानकार कहते हैं कि प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में चोरी छिपे पटाखे बिकते और फोड़े जाते हैं। उसमें बेहतर है कि तय मानक से निर्मित हरित पटाखों की बिक्री की जाए।

    इसे सुप्रीम कोर्ट ने अपनी समीक्षा में उठाया भी है। ऐसे में बहुत संभव है कि हरित पटाखों की बिक्री की सशर्त अनुमति मिल जाए, लेकिन अब दिन इतने कम बचे हैं कि पटाखों की खुदरा बिक्री से संबंधित लाइसेंसिंग प्रक्रिया, खरीद व भंडारण के साथ बिक्री के लिए काफी कम समय मिलेगा। फिर भी अनुमति से रोशनी के पर्व पर पटाखा विक्रेताओं के चेहरे पर पिछले आठ वर्ष से बनी मायूसी दूर होगी।

    जारी होते थे 1500 से अधिक अस्थाई लाइसेंस

    दिल्ली मेें पटाखा बिक्री के प्रत्येक वर्ष करीब 1,500 अस्थाई लाइसेंस जारी होते रहे हैं। करीब 10 हजार परिवार जुड़े हुए हैं। दीपावली पर करीब 500 करोड़ रुपये के पटाखों का कारोबार होता है। फायर वर्क्स ट्रेडर्स एसोसिएशन, सदर बाजार के अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता के अनुसार, हमारी लड़ाई इस वर्ष के लिए है, इस वर्ष के लिए नहीं, क्योंकि इस वर्ष तो काफी देर हो चुका है।

    वह बताते हैं कि बिक्री के अस्थाई लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया में ही ढाई से तीन माह लग जाते हैं। जबकि अक्टूबर में दीपावली के मौके पर बिक्री के लिए पटाखों की खरीद मार्च में ही शुरू हो जाती है। वह कहते हैं कि वर्ष 2017 से ही दिल्ली में पटाखों की बिक्री प्रभावित या प्रतिबंधित है। पिछली सरकार ने उस ओर ध्यान नहीं दिया। अच्छी बात है कि मौजूदा सरकार संवेदनशील है।

    दिल्ली फायर वर्क्स ट्रेडर्स एसाेसिएशन के सदस्य राजीव जैन कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि प्रतिबंध के बाद दिल्ली में पटाखों की बिक्री नहीं हुई या वह फोड़े नहीं गए। बल्कि अवैध तरीके से लोगों ने गली मोहल्लों में बेचे। लोग दूसरे राज्यों से लाकर पटाखे फोड़े। अगर प्रतिबंध की जगह नियमन के साथ बिक्री होती तो यह वायु व ध्वनि प्रदूषण इतना नहीं होता।

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